July 20, 2025, 5:44 am
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एक राष्ट्र एक चुनाव भारत की जरूरत, राष्ट्रीय एकात्मकता को स्वीकार नहीं करने वाले कर रहे है विरोध:सुधांशु त्रिवेदी

जयपुर। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने एक राष्ट्र—एक चुनाव परिचर्चा को संबोधित करते हुए कहा कि देश में एक राष्ट्र और एक चुनाव की अवधारणा को समझने के लिए हमें एक राष्ट्र की अवधारणा को समझना होगा। उन्होंने कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे है, वो भारत की एक राष्ट्र की अवधारणा का स्वीकार ही नहीं करते।

वे अभी भी भारत में अलग-अलग राष्ट्रीयता के विदेशी विचार को हवा देने में लगे है। महात्मा गांधी ने अपनी हिंद स्वराज किताब में इस अलग-अलग राष्ट्रीयता के विचार को सिरे से खारिज करते हुए कहा था कि अगर हिंदुस्तान एक नहीं होता तो अंग्रेज एक साथ शासन कैसे कर सकते थे?

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि अयोध्या के भगवान श्रीराम कुलदेवता तमिलनाडु में विरामान होते है, भगवान श्रीकृष्ण शरीर द्वारका में त्यागते है और उनका हृदय जगन्नाथपुरी में माना जाता है, आदिशंकर का जन्म केरल में हुआ तो उनकी समाधि केदारनाथ में है, यह स्पष्ट बताता है कि भारत की राष्ट्रीय एकात्मकता एक राष्ट्र के भाव में है।

उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत को सबसे बड़ा लोकतंत्र ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की जननी कहते है तो इसके पीछे चोल गणराज्य की समितियों के चुनाव की व्यवस्था, वासन्ना के अनुभव मंडपम और वैशाली की गणराज्य परम्परा के मुंह बोलते प्रमाण सामने है।

भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि हमारे पिछले लोकसभा चुनाव में 12 हजार करोड़ से अधिक की राशि खर्च बताई गई, वहीं 10 लाख से अधिक जवानों को चुनावी ड्यूटी में लगाया जाता है, देश के 25 लाख सरकारी कर्मचारी चुनावी ड्यूटी में लगते है, हर छह माह में होने वाले चुनाव ना केवल कार्य को रोकते है, बल्कि वैमनस्यता को भी बढ़ाते है। अगर एक साथ चुनाव होता है तो देश की जीडीपी में 1.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।

1989 से लेकर 2014 तक आई राजनीतिक अस्थिरता का दुखद परिणाम यह हुआ कि जो चीन हमारे से पीछे था, वो आर्थिक रूप से हमने मजबूत होकर उभर गया। 1980 में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 7.5 थी, वहीं चीन की 2.5 प्रतिशत थी, आज हम जिस स्थिति में है उसके पीछे राजनीतिक अस्थिरता के कारण दीर्घकालीन रणनीति नहीं बनना है।

उन्होंने कहा कि अटल जी कहा करते थे कि लोकतंत्र में चुनाव धड़कन होता है, लेकिन यह धड़कन बार बार तेज गति से चलने लग जाए तो शरीर को नुकसान हो सकता है। इसलिए देश में एक साथ चुनाव होने से छह—छह माह में होने वाले चुनाव के कारण पड़ने वाले आर्थिक खर्चों में कमी आएगी, कार्यों को गति मिलेगी।

परिचर्चा में एक राष्ट्र एक चुनाव अभियान के प्रदेश संयोजक सुनील भार्गव ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी। इस दौरान मंच पर जिला संयोजक रवि नैय्यर, भाजपा प्रदेश मंत्री भूपेंद्र सैनी, भाजपा प्रदेश मीडिया संयोजक प्रमोद वशिष्ठ, सोशल मीडिया संयोजक हिरेश जोशी, आईटी संयोजक अविनाश जोशी, विधि प्रकोष्ठ के संयोजक सौरभ सारस्वत उपस्थित रहे। इस दौरान समाज के प्रबुद्धजन, सीए, वकील, गृहणी,व्यापारी, पूर्व सैनिक सहित बड़ी संख्या कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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