जयपुर। सिन्धी समाज का धार्मिक पर्व नन्ढी थदड़ी ( छोटी थदड़ी) पर्व गुरुवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। ज्ञातव्य है कि सिंधी समाज सिंधी सावन महीने की दोनों सप्तमी पर शीतला माता की पूजा करता है । इस अवसर पर शहर के झूलेलाल मंदिरों में और सार्वजनिक जलाशयों पर मां शीतला की पूजा की गई ।
समाज के तुलसी संगतानी ने बताया कि थदड़ी शब्द का सिंधी भाषा में अर्थ होता है ठंडा ,शीतल । ऐसी मान्यता है कि शीतला माता की आराधना दैहिक तापों, ज्वर,संक्रमण तथा अन्य विषाणुओं के दुष्प्रभावों से मुक्ति दिलाती है। सिन्धी समाज की महिलाओं ने शीतला माता को प्रसन्न करने के लिए उनकी आराधना की ।चांदी की बनी शीतला माता का पूजन हुआ ।माता को भीगे हुए मूंग और ठंडे पकवानों का भोग लगा। कच्चे दूध, दूब और जल से पूजन किया गया। माता से मन, मस्तिष्क और वाणी को शीतल रखने की प्रार्थना की गई । पल्लव प्रार्थना से विश्व के मंगल कल्याण की कामना की गई।
सिन्धी समाज के कई घरों में शीतला माता को कुलदेवी के रूप में पूजा जाता रहा है, माता को ठंडे पकवानों मिठी मानी, चोपा, खोराकु , टिक्की, सीरो, खिरणी, सन्ना पकौड़ा आदि का भोग लगाया गया।