रामगढ़ बांध में आज सरकार ड्रोन की मदद से करवाएगी कृत्रिम बारिश

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जयपुर। रामगढ़ बांध के इलाके में आज सरकार ड्रोन की मदद से कृत्रिम बारिश कराने जा रही है। जानकारी के अनुसार देश में पहली बार ड्रोन के जरिए कृत्रिम बारिश का प्रयोग किया जा रहा है। कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा इसकी शुरुआत करेंगे।रामगढ़ बांध पर कृत्रिम बारिश के प्रयोग की शुरुआत के मौके पर बड़ा कार्यक्रम रखा गया है, जिसे देखने के लिए आसपास के लोगों को भी बुलाया गया है।

जानकारी के अनुसार अमेरिका और बेंगलुरु की टेक्नोलॉजी बेस्ड कंपनी जेन एक्स एआई कृषि विभाग के साथ मिलकर यह प्रयोग करने जा रही है। कंपनी सरकार के साथ मिलकर पायलट प्रोजेक्ट के तहत यह ट्रायल कर रही है। रामगढ़ में 60 क्लाउड सीडिंग की टेस्ट ड्राइव कराई जाएगी। अब तक प्लेन से क्लाउड सीडिंग करवाई जाती रही है। ड्रोन से देश का पहला प्रयोग होगा।

छोटे इलाके के सीमित दायरे में होने वाला यह पहला प्रयोग है। अब तक कृत्रिम बारिश के लिए बड़ा क्षेत्र चुना जाता रहा है। ड्रोन से कृत्रिम बारिश का यह प्रयोग सफल हुआ तो राजस्थान के बड़े इलाके में इसका फायदा हो सकता है। राजस्थान में कई बार मानसूनी बादल होने के बावजूद कई इलाके सूखे रह जाते हैं। यह प्रयोग सफल रहा तो आगे से सीमित इलाकों में कृत्रिम बारिश करवाकर फसलों को सूखने से बचाया जा सकेगा।

पहले इस प्रयोग की शुरुआत 31 जुलाई को होनी थी। लेकिन उस वक्त भारी बारिश की चेतावनी की वजह से इसे टाल दिया गया था। कृत्रिम बारिश के लिए वैज्ञानिकों की टीम कई दिनों से जयपुर में है। वे लगातार अपने स्तर पर ड्रोन से कृत्रिम बारिश का परीक्षण कर रहे हैं।

रामगढ़ बांध पर ड्रोन से कृत्रिम बारिश के लिए केंद्र और राज्य सरकार के विभागों व एजेंसियों से जुलाई में ही मंजूरी मिल चुकी है। कृषि विभाग पहले ही मंजूरी दे चुका था। इसके बाद मौसम विभाग, जिला प्रशासन भी जुलाई में मंजूरी दे चुके हैं। ड्रोन से प्रयोग के लिए डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) की मंजूरी भी मिल चुकी है।

गौरतलब है कि क्लाउड सीडिंग कृत्रिम बारिश करवाने की तकनीक है। जिसमें आमतौर पर सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड या ड्राई आइस का उपयोग किया जाता है। ये रसायन हवाई जहाज, हेलीकॉप्टर या ड्रोन के माध्यम से बादलों में छोड़े जाते हैं। जब रसायन के ये कण बादलों में मिलते हैं तो पानी की छोटी-छोटी बूंदें उनके चारों ओर जमने लगती है।

ये बूंदें धीरे-धीरे भारी होकर बारिश के रूप में गिरती है। इस तकनीक से विदेशों में कृत्रिम बारिश करवाई जाती रही है। कृत्रिम बारिश के लिए बादलों में नमी होना जरूरी होता है। बादलों में नमी नहीं हो तो उन पर खास केमिकल छिड़कने के बावजूद बारिश नहीं होती है।

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