जयपुर। राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (एनआईए) जयपुर के पंचकर्म विभाग की ओर से 10वें आयुर्वेद दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय व्यक्तित्व विकास कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पीजी व पीएचडी.डी. शोधार्थियों में व्यावसायिक व व्यक्तिगत कौशल विकसित करना था। कार्यशाला के दौरान विशेषज्ञों ने संचार कौशल, आत्म-गरूकता, भावनात्मक बुद्धिमत्ता एवं तनाव प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर सत्र आयोजित किए।
कार्यक्रम के अध्यक्ष राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा ने प्रतिभागियों को भावनात्मक बुद्धिमत्ता व नेतृत्व कौशल पर मार्गदर्शन देते हुए कहा कि भावनाएँ जब समझ कर और सही दिशा में उपयोग की जाएँ, तभी व्यक्ति अपने पेशेवर व व्यक्तिगत जीवन में उत्कृष्टता पा सकता है।
समापन सत्र में विभागाध्यक्ष डॉ. गोपेश मंगल ने कहा कि इस कार्यशाला का मूल उद्देश्य प्रतिभागियों को व्यावहारिक दृष्टि से सशक्त बनाना है। उन्होंने जोर देकर कहा कि अपनी भावनाओं को समझना और उन्हें सकारात्मक दिशा में प्रयोग करना सीखना चाहिए, तभी हम बेहतर इंसान और पेशेवर बन पाएँगे।
प्रोफेसर पुनीत शर्मा ने बताया कि व्यक्तित्व विकास महज बाहरी साज-सज्जा नहीं, बल्कि आंतरिक शक्तियों की पहचान व उन्हें निखारने की प्रक्रिया है। उन्होंने कहा, “प्रभावी संवाद और आत्मविश्वास सफलता की पहली सीढ़ी है।”
कार्यशाला में शोधार्थियों द्वारा सक्रिय भागीदारी और उत्साह देखा गया जिसमें नेतृत्व कौशल, टीम वर्क एवं आत्म प्रस्तुति जैसे विषय शामिल किए गए।