टेराकोटा क्राफ्ट की मास्टर ट्रेनिंग के लिए रवाना हुए दल

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जयपुर । कौशल विकास को साकार रूप देते हुए श्रीयादे माटी कला बोर्ड राजस्थान सरकार अपने ट्रेनर्स को और अधिक पारंगत कर रहा है। इसी दिशा में चयनित माटी कलाकारों को प्रशिक्षण देने वाले ट्रेनर्स के हुनर को तराशने के लिए बोर्ड ने उत्तर प्रदेश के खुर्जा स्थित सेंट्रल ग्लास एंड सेरामिक्स रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीजीसीआरआई) भेजा है। 25 सदस्यीय दल के वाहन को बोर्ड के अध्यक्ष प्रहलाद राय टाक ने उद्योग भवन से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

यह दल खुर्जा में 15 से 21 सितंबर तक खासकर टेराकोटा पॉटरी का प्रशिक्षण लेगा। इस दल में प्रदेश के छह जिलों जयपुर, टोंक, अजमेर, जैसलमेर, करौली व श्रीगंगानगर के प्रशिक्षक खुर्जा गए हैं। श्रीयादे माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष श्री प्रहलाद राय टाक ने बताया कि इन ट्रेनर्स को सात दिवसीय कैंप में टेराकोटा प्रसंस्करण एवं लक्षण वर्णन की मास्टर ट्रेनिंग दी जाएगी।

उन्होंने बताया कि यह संस्थान वैज्ञानिक एवं अनुसंधान परिषद से मान्यता प्राप्त है। इस दौरान उन्हें कलाकृतियों के निर्माण के लिए मिट्टी तैयार करने, गूंथने, कलाकृति बनाने, पकाने, रंग-रोगन करने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इसके बाद जल्द ही एक और ग्रुप को ट्रेनिंग के लिए खुर्जा भेजा जाएगा। प्रशिक्षण के उपरांत ये ट्रेनर्स प्रदेशभर में चयनित 2000 मिट्टी कलाकारों को कैंपों में जाकर प्रशिक्षित करेंगे। इसके लिए सभी जिलों में कुल 100 कैंप लगाए जाएंगे।

इसी माह के अंत तक करेंगे 1000 मशीनों का वितरण

बोर्ड श्री प्रहलाद राय टाक ने बताया कि मिट्टी कलाकारों को स्वरोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल पर राजस्थान सरकार की ओर से बजट घोषणा 2025-26 के तहत 2000 मिट्टी गूंथने की मशीनें व इलेक्टि्रक चाक वितरित किए जाएंगे। इसी की क्रियान्विति में अब तक बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, चितौड़गढ़, भीलवाड़ा, अजमेर, सलूंबर व ब्यावर जिले के चयनित मिट्टी कलाकारों को प्रशिक्षण उपरांत कुल 367 मशीनें वितरित की जा चुकी हैं।

जोधपुर जिले की आठ विधानसभा क्षेत्रों के चयनित 93 मिट्टी कलाकारों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सितंबर माह के अंत तक करीब 1000 मिट्टी कलाकारों को प्रशिक्षण उपरांत मशीनें वितरित करना प्रस्तावित है। बोर्ड का लक्ष्य है कि माटी कलाकारों की आय दोगुनी हो, और माटी कला को बढावा देने के लिए दस हजार आर्टिजन को आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।

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