“GST 2.0 : उपभोक्ताओं को राहत, उद्योग को नई उड़ान”

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भारत में लागू वस्तु एवं सेवा कर 2017 से देश की कर व्यवस्था में ऐतिहासिक सुधार माना गया। हालांकि, इसके लागू होने के बाद से इसमें कई खामियाँ और जटिलताएँ सामने आती रही हैं। सरकार ने इन चुनौतियों को देखते हुए ‘जीएसटी 2.0’ की घोषणा की। ‘GST 2.0’ भारत में 22 सितंबर 2025 से लागू हो गया है। इसे कर ढाँचे का एक नया रूप माना जा रहा है, जिसका लक्ष्य उपभोक्ताओं को राहत देना, उद्योगों को प्रतिस्पर्धी बनाना और देश की आर्थिक वृद्धि को गति देना है।

2,500 से कम कीमत वाले कपड़ों पर जीएसटी कम कर दिया गया है। इससे आम और मध्यम वर्गीय परिवारों पर खर्च का बोझ घटेगा। अब कच्चे माल पर अधिक और तैयार वस्तु पर कम कर लगने की समस्या दूर होगी। इससे कपड़ा उद्योग, हैंडलूम और छोटे व्यापारी बड़ी राहत महसूस करेंगे। कर संरचना सरल होने से उत्पादन लागत घटेगी। घरेलू उद्योगों को प्रतिस्पर्धा में मजबूती मिलेगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

ऑनलाइन रिटर्न, ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग को और आसान बनाने की दिशा में प्रयास। टैक्स चोरी पर नियंत्रण और कर संग्रहण में पारदर्शिता। सरकार ने इसे “जीएसटी बचत उत्सव” जैसे अभियानों से जनता तक पहुँचाने की कोशिश की है। त्योहारी सीजन से पहले इसका लाभ जनता तक पहुँचाने का राजनीतिक और सामाजिक असर भी है।

‘GST 2.0’ लागू हो तो गया है लेकिन इसके समक्ष कुछ चुनौतियाँ भी हैं जैसे, छोटे व्यापारियों के लिए अभी भी कम्प्लायंस और कागज़ी औपचारिकताएँ बोझिल साबित हो सकती हैं। जीएसटी दरों में कमी से सरकार के तत्काल राजस्व पर दबाव पड़ेगा।
वास्तविक लाभ उपभोक्ता तक कितनी जल्दी और कितनी पारदर्शिता से पहुँचेगा, यह सबसे बड़ा सवाल है। सुधारों को लेकर जनता और व्यापार जगत में जागरूकता अभियान और भरोसा कायम करना सरकार की जिम्मेदारी होगी।

‘GST 2.0’ का ऐलान ऐसे समय हुआ है जब देश में त्योहारी सीजन शुरू होने वाला है। इससे जनता में सकारात्मक संदेश जाएगा और यह राजनीतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हो सकता है। आलोचकों का कहना है कि सरकार इसे चुनावी रणनीति के रूप में पेश कर रही है, लेकिन समर्थकों का मानना है कि यह लंबे समय से जरूरी सुधार था।

‘GST2.0’ केवल कर सुधार नहीं, बल्कि यह सरकार का ऐसा प्रयास है जो उपभोक्ता, उद्योग और सरकार—तीनों के हितों को साधने की कोशिश करता है। अगर इसका क्रियान्वयन ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ हुआ तो यह न सिर्फ उपभोक्ताओं को राहत देगा, बल्कि भारतीय उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में नई ताकत भी प्रदान करेगा। हालांकि, अगर यह केवल प्रचार और राजनीतिक लाभ तक सीमित रह गया तो इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लग सकते हैं। अंततः, ‘जीएसटी 2.0’ भारत की कर प्रणाली के नए अध्याय की शुरुआत है—जहाँ उपभोक्ता को राहत, उद्योग को सहारा और अर्थव्यवस्था को नई गति देने की संभावना छिपी है।

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