जयपुर। इस बार दीपावली रोशनी के साथ गो संवद्र्धन और पर्यावरण संरक्षण अनोखा और ऐतिहासिक संदेश देगी। छोटीकाशी की छतों पर पर माटी के पारंपरिक दीयों के साथ गोबर से बने दीपक भी झिलमिलाएंगे। ऐसे में ये दीपक न केवल आध्यात्मिक आभा फैलाएंगे, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का प्रभावी संदेश भी देंगे। जयपुर के विभिन्न स्वयं सहायता महिला समूह से जुड़ी महिलाएं इन गोमय दीपकों की पैकेजिंग जुटी हैं। गत दो माह में ये दीपक तैयार किए गए।
टोंक रोड स्थित पिंजरापोल गौशाला के वैदिक पादप अनुसंधान केन्द्र में दीपक तैयार हो चुके हैं। माता रानी स्वयं सहायता समूह की महिलाएं प्रतिदिन लगभग पांच हजार दीपक बना रही हैं। एक दीपक तैयार करने में केवल डेढ़ मिनट का समय लगता है। यह कार्य इन महिलाओं को आत्मनिर्भरता और सम्मानजनक आजीविका दोनों प्रदान कर रहा है, साथ ही ग्रामीण कारीगरों और गौशालाओं को भी आर्थिक सहयोग का माध्यम बन रहा है।
हैनिमन चैरिटेबल सोसायटी की सचिव मोनिका गुप्ता ने बताया कि ये दीपक साधारण मिट्टी के नहीं, बल्कि देसी नस्ल की गाय के गोबर और दुर्लभ औषधीय जड़ी-बूटियों से निर्मित हैं। इनमें जटामासी, अश्वगंधा, रीठा, देसी घी, मोरिंगा पाउडर, काली हल्दी, नीम, तुलसी और अन्य प्राकृतिक तत्व सम्मिलित किए गए हैं। जब ये दीपक जलते हैं, तो उनसे न केवल उजाला फैलता है, बल्कि हवन सामग्री जैसी दिव्य सुगंध भी वातावरण में व्याप्त हो जाती है। यह विशिष्ट संयोजन दीपों को आध्यात्मिक और औषधीय दोनों दृष्टियों से उपयोगी बनाता है।

रोशनी के साथ पोषण देंगे
अखिल भारतीय गौशाला सहयोग परिषद के अंतरराष्ट्रीय संयोजक डॉ. अतुल गुप्ता ने बताया कि गोमय दीपकों की विशेषता यह भी है कि ये अत्यंत हल्के हैं, गिरने पर टूटते नहीं और इन्हें कई बार जलाया जा सकता है। जलने के बाद इन्हें मिट्टी या पौधों के पास डालने से ये प्राकृतिक खाद (उर्वरक) की तरह कार्य करते हैं। इस प्रकार ये दीपक रोशनी के साथ पोषण का संदेश देते हैं। यह प्रयोग भारतीय परंपरा में वर्णित पंचगव्य सिद्धांत का आधुनिक स्वरूप है जो यह दर्शाता है कि स्वदेशी ज्ञान और पर्यावरण-संरक्षण के मेल से भी नवाचार संभव हैं।
पांच लाख गोमय दीपकों से अयोध्या में भी फैलेगा गोमय प्रकाश
श्री राम जन्मभूमि अयोध्या में इस बार 26 लाख दीपों से जगमगाता दीपोत्सव आयोजित होगा, जिसमें जयपुर से पांच लाख गोमय दीपक विशेष आकर्षण का केन्द्र होंगे। अयोध्या की धरती पर ये पांच लाख गोमय दीपक प्रज्वलित होंगे, तब वह दृश्य केवल भव्य और दिव्य ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की उस वैज्ञानिक, आध्यात्मिक और प्राकृतिक चेतना का प्रतीक होगा जिसने सदियों से विश्व को प्रकाश दिया है। महिलाओं की सृजनशीलता, स्वदेशी नवाचार और पर्यावरणीय जिम्मेदारी का यह संगम इस बार की अयोध्या दीपावली को नई पहचान देने जा रहा है एक ऐसी दीपावली, जो केवल अंधकार नहीं मिटाएगी, बल्कि प्रकृति, परंपरा और मानवता को भी आलोकित करेगी।