जयपुर। एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान के एमिटी इंस्टिट्यूट ऑफ बिहेवियरल एंड एलाइड साइंसेज द्वारा एमिटी सेंटर फॉर पॉजिटिविज्म एंड हैप्पीनेस तथा एमिटी जेंडर सेल के सहयोग से “मनोल्लास 2025 ‘‘द फेस्टिवल ऑफ एमिटी इंस्टिट्यूट ऑफ बिहेवियरल एंड एलाइड साइंसेज” का दो दिवसीय आयोजन किया गया। कार्यक्रम के शुभारंभ में एमिटी यूनिवर्सिटी राजस्थान के वाइस चांसलर प्रोफेसर (डॉ.) अमित जैन ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता पर बोलते हुए कहा कि “एमिटी मानसिक स्वास्थ्य, भावनात्मक संतुलन, और सामाजिक समावेश को बढ़ावा देने में निरंतर अग्रणी भूमिका निभा रहा है”। इसके पश्चात यूनिवर्सिटी के प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर (डॉ.) जी. के. आसेरी ने स्वागत भाषण पर बोलते हुए कहा कि शैक्षणिक संस्थान न केवल ज्ञान के केंद्र हैं, बल्कि भावनात्मक रूप से जागरूक और संवेदनशील व्यक्तित्वों को गढ़ने का माध्यम भी हैं।
डिपार्टमेंट हैड प्रोफेसर (डॉ.) मनी सचदेव ने मनोल्लास के उद्देश्य और दृष्टिकोण पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह उत्सव “मन और आत्मा” का एक समग्र उत्सव है, जो सकारात्मकता और आत्म-चिंतन की भावना को प्रोत्साहित करता है। कार्यक्रम की शुरुआत ‘‘माइंड मैटर्स‘‘ शीर्षक से एक चर्चा सत्र के साथ हुई, जिसमें विविध क्षेत्रों के विचारकों और विशेषज्ञों जिनमें डॉ. बुशरा फिजा (महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं हॉस्पिटल), मनोज गुप्ता (मुख्य अभियंता, राजस्थान हाउसिंग बोर्ड), पुष्पा गिदवानी (ट्रांसजेंडर सामाजिक कार्यकर्ता), रेनू सिंह (सीईओ, सोसाइटी फॉर एजुकेशन ऑफ डिफरेंटली एबल्ड, उदयपुर), डॉ. एकादशी राजनी सभरवाल (एमजीयूएमएसटी), तथा शिल्पा चौधरी (अतिरिक्त डीसीपी, पुलिस आयुक्तालय) शामिल हुए। सत्र के दौरान विचार-विमर्श में मनोविज्ञान, विविधता और सामाजिक उत्तरदायित्व के समागम पर गहन चर्चा हुई जिसका संचालन डॉ. हर्षिता कुमार ने किया।
इसके पश्चात लघु फिल्म “जो दिखता है…” की स्क्रीनिंग की गई, जिसने धारणा और वास्तविकता के बीच संबंधों पर विचारोत्तेजक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया। सप्तशक्ति आशा स्कूल, जयपुर के दिव्यांग कलाकारों द्वारा विशेष प्रस्तुति ने समावेशन और प्रेरणा का सशक्त संदेश दिया। कार्यक्रम के अगले चरणों में अनेक सृजनात्मक, संवादात्मक और अनुभवात्मक सत्र आयोजित किए गए। “इमोशनवर्स‘‘ नामक मंच ने प्रतिभागियों को आत्म-अभिव्यक्ति, संवेदना और सहानुभूति के अनुभव साझा करने का अवसर प्रदान किया। फ्लैश मॉब ने पूरे परिसर को ऊर्जा, आनंद और एकता के उत्साह से भर दिया। “द टाइम इज द कॉइन ऑफ योअर लाइफ‘‘ वर्कशॉप ने कार्यस्थल मानसिक स्वास्थ्य, उत्पादकता और वेलनेस के विषयों पर सार्थक संवाद को प्रोत्साहित किया।
‘‘टाक इट आउट“ सर्कल्स ने संवादों के माध्यम से तनाव, संतुलन और भावनात्मक दृढ़ता पर चर्चा को बढ़ावा दिया। ‘‘कित्सुगी कॉर्नर‘‘ और ओपन माइक ने कविता, संगीत, और आत्म-सुधार की अभिव्यक्ति को नए आयाम दिए। ‘‘माइंड एंड डमेज‘‘ ने खेलों और मनोवैज्ञानिक पहेलियों के माध्यम से प्रतिभागियों की रचनात्मक सोच और टीम भावना को प्रोत्साहित किया। आयोजन को सफल बनाने में डॉ. मोनिका ग्वालानी, डॉ. विभांशु वर्मा, डॉ. अजीत कुमार सिंह, डॉ. शोभिता जैन, डॉ. नेहा गुप्ता, आंचल सक्सेना, वर्षा रानी, अम्मारा अकील तथा छात्र कॉर्डिनेटर्स की अहम भूमिका रही।