सिटी पैलेस में मनाई गई जयपुर के संस्थापक महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय की जयंती

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The birth anniversary of Jaipur's founder Maharaja Sawai Jai Singh II was celebrated at the City Palace.
The birth anniversary of Jaipur's founder Maharaja Sawai Jai Singh II was celebrated at the City Palace.

जयपुर। महाराजा सवाई मान सिंह (एमएसएमएस) द्वितीय संग्रहालय की ओर से जयपुर के संस्थापक, महान महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय की जयंती पर सोमवार को सिटी पैलेस के सर्वतोभद्र चौक में संगोष्ठी एवं काव्य पाठ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विद्वानों ने महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और राजस्थानी कवियों ने ढुंढाड़ी भाषा में सुंदर काव्य पाठ से समां बांध दिया। कार्यक्रम की शुरुआत महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय की तस्वीर पर मालार्पण और पुष्पांजलि अर्पित करने के साथ हुई। इस दौरान सिटी पैलेस भ्रमण पर आए सैलानियों और पर्यटकों ने भी महाराजा की तस्वीर पर पुष्प अर्पित किए।

कार्यक्रम की शुरुआत एमएसएमएस द्वितीय संग्रहालय की कार्यकारी ट्रस्टी, श्रीमती रमा दत्त द्वारा स्वागत संबोधन के साथ हुई। इस अवसर पर उन्होंने महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के जीवन से प्रेरणा लेने की बात कही। उन्होंने कहा कि महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय हमारी समृद्ध संस्कृति के संस्थापक रहे हैं। उन्होंने कई कुप्रथाओं पर रोक लगाकर समाज सुधार का कार्य भी किया।

इस अवसर पर पूर्व प्रिंसिपल और वरिष्ठ साहित्यकार, राजेंद्र सिंह खंगारोत ने कहा कि महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। वे एक कुशल योद्धा होने के साथ-साथ वास्तुकार, ज्योतिष, चिंतक और विचारक भी थे। श्री खंगारोत ने इस पर प्रकाश डाला कि जयपुर शहर को किस प्रकार चारदीवारी से निकालकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाया जा सकता है। इसके लिए उन्होंने ‘इंटरनेशनल कोलेबोरेटिव रिसर्च’ पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने सुझाव दिया कि सिटी पैलेस में प्रकाशन और शोध की व्यवस्था के लिए महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के नाम पर इंटरनेशनल रिसर्च सेंटर की स्थापना की जाए।

वरिष्ठ साहित्यकार एवं पत्रकार, जितेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि मुगलों को भारत से बाहर खदेड़ने में महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय का बड़ा योगदान था। उन्होंने सभी हिंदू शासकों को एकजुट कर मुगलों को बाहर का रास्ता दिखाया। अकबर महान की जगह हमें महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय को महान की उपाधि देनी चाहिए। वक्ता श्री राघवेंद्र सिंह मनोहर ने कहा कि महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने न केवल विषम और विपरीत परिस्थितियों में जयपुर शहर की रक्षा की, बल्कि शहर के विस्तार में भी अहम भूमिका निभाई। उन्होंने अश्वमेध यज्ञों का आयोजन कराया। वे बचपन से ही प्रतिभाशाली थे और उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में उपलब्धियां हासिल की।

वरिष्ठ साहित्यकार गोविंद शंकर शर्मा ने अपने उद्बोधन में सवाई जयसिंह के समय में लिखे गए सबसे विश्वसनीय ग्रंथ ‘वचन प्रमाण’ पर रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि इस ग्रंथ में समाज सुधार से संबंधित तत्कालीन घटनाओं, राजमहलों तथा कन्या विवाह जैसे विषयों का विस्तृत वर्णन मिलता है। शर्मा ने यह भी उल्लेख किया कि सवाई जयसिंह ने विभिन्न जातियों की कन्याओं का विवाह स्वयं संपन्न कराए।

इस अवसर पर सिटी पैलेस के कला एवं संस्कृति, ओएसडी, एवं कार्यक्रम के संयोजक, रामू रामदेव ने महान महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के जीवनी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि महाराजा सवाई जयसिंह ने बहुत ही छोटी उम्र में राज-पाठ संभाला। उन्होंने एक ऐसे शहर की स्थापना की जो आज विश्व प्रसिद्ध है। कार्यक्रम का संचालन शोभा चंदर ने किया।

ढुंढाड़ी भाषा को प्रोत्साहन देने के उदेश्य से आयोजित काव्य पाठ में राजस्थान के जाने-माने कवियों ने हिस्सा लिया, इनमें जयपुर से कल्याण सिंह शेखावत, शोभा चंदर, विनय शर्मा, प्रहलाद चंचल, भगवान सहाय पारीक, वेद प्रकाश दाधीच, बीकानेर से हिंगलाजदान रतनू और करौली से राव शिवराज पाल ने काव्य पाठ किया। कवियों ने अपनी अपनी कविताओं के माध्यम जयपुर की परंपरा, संस्कृति और इतिहास से दर्शकों को रु-ब-रु कराया।

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