जयपुर। गर्भस्थ शिशु के शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास के लिए आराध्य देव गोविंद देवजी मंदिर में रविवार, 23 नवंबर को सुबह नौ बजे सामूहिक पुंसवन संस्कार कराया जाएगा। मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में यह वैदिक संस्कार पूरी तरह निशुल्क होगा। गर्भवती महिलाओं को कोई भी सामग्री लाने की आवश्यकता नहीं है। मंदिर के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने बताया कि भारतीय संस्कृति के सोहल संस्कार की परंपरा है। दुर्भाग्य है कि लोग सभी संस्कारों के नाम तक नहीं जानते।
ऐसे में इस परंपरा को पुनर्जीवित करने के लिए समय-समय पर विभिन्न संस्कार कराए जाएंगे। इस रविवार को गर्भ में पल रहे शिशु के सर्वांगीण विकास के लिए पुंसवन संस्कार कराया जाएगा। कोई भी गर्भवती महिला यह संस्कार करा सकती है। हालांकि इसकी सर्वोत्तम अवधि गर्भ का तीसरा माह होता है। इसी माह में भ्रूण बनने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। नवंबर माह में जन्म लेने वाले लोगों का जन्मदिन संस्कार भी भारतीय संस्कृति के अनुसार कराया जाएगा। इस दौरान पंच तत्वों का पूजन किया जाएगा।
गायनोलॉजिस्ट चिकित्सक का होगा उद्बोधन:
यह संस्कार युग तीर्थ शांतिकुंज हरिद्वार से संबंद्ध गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी की टोली संपन्न कराएगी। इस अवसर पर पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ भी होगा। वहीं, प्रसूति रोग विशेषज्ञ महिला चिकित्सक संस्कार का वैज्ञानिक महत्व बताएंगी। प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. आनंदी शर्मा ने बताया कि पुसंवन संस्कार से माता अपनी संतान को गुणवान, संस्कारवान, चरित्रवान, राष्ट्रभक्त बना सकती है। यह कार्य गर्भावस्था से ही प्रारंभ करना होता है।
परिजन देंगे आश्वासन, श्रद्धालु करेंगे पुष्प वर्षा:
कार्यक्रम के दौरान गर्भवती महिलाओं को वट वृक्ष की दाढ़ी, पीपल की कौंपल और गिलोय से विशेष औषधि तैयार कर सुंघाई जाएगी। इस दौरान तीनों के गुणों का चिंतन कराया जाएगा। गर्भवती महिला का पति और परिजन गर्भस्थ शिशु को श्रेष्ठ वातावरण देने का आश्वासन देंगे। शेष अन्य उपस्थित श्रद्धालु पुष्प वर्षा कर गर्भस्थ शिशु को आशीर्वाद देंगे। वेद मंत्रोच्चार के साथ यह क्रियाएं संपन्न कराई जाएगी।




















