आदित्य ज्योतिष शोध संस्थान एवं श्रीमद्भागवत सेवा समिति के कथा का दूसरा दिन

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जयपुर। आदित्य ज्योतिष शोध संस्थान एवं श्रीमद्भागवत सेवा समिति के तत्वावधान में आजाद नगर ,सांगानेर स्थित भागवत धाम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस के अवसर पर व्यासपीठासीन श्री जैनेंद्र कटारा ने श्रष्टि के वर्णन की कथा का भाव पूर्ण वर्णन करते हुए प्रभु के द्वारा बनाई श्रष्टि जिसे जगत कहते हैं, वो बहुत ही सुंदर है ,मानव द्वारा निर्मित संसार में गड़बड़ी हो सकती हैं। मानव को अपने बनाये हुए संसार में प्रभुभक्ति में लीन रहते हुए जीवनयापन करना चाहिए। कर्दम ऋषि एवं माँ आहुति को कपिल भगवान द्वारा सांख्य शास्त्र  एवं नवधा भक्ति का उपदेश दिया। सती अनुसया के दिव्य सतीत्व एवं तपचर्या से तीनों देवों को नवजात शिशुओं के रूप में बना कर अपने गृहस्थ जीवन को साकार कर दिया, दत्तात्रेय भगवान को प्रकट करवा दिया।शिव – सती चरित्र में पति पत्नी के मध्य आपस मे समझदारी के साथ साथ झूठ, दुराव-छुपाव नही होना चाहिये।

सती ने शिव से झूठ बोला, भगवान राम की परीक्षा ली, आचार्य श्री ने बताया भगवान की परीक्षा नही ली जाती हैं, प्रभु की प्रतीक्षा की जाती हैं। शिव जी के मना करने पर भी कुतर्क करके अपने पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञ में गई,जिसके परिणाम स्वरूप अपना जीवन गवाना पड़ा। सौतेली माँ के कठोर शब्दों को पकड़ कर नन्हा बालक धुर्व नारायण की खोज में निकल जाते हैं, सतगुरू नारद जी की कृपा से,उनके द्वारा दिये गुरुमंत्र के जाप एवं हठीले तप से नारयण भगवान की प्राप्ति कर लेते।आचार्य श्री बतलाया कि नारद को जिस जिस ने गुरु बनाया, उन सबको प्रभु की प्राप्ति हुई हैं। ऋषभ देव एवं भक्त जड़भरत जी के प्रसंग के साथ कथा को विराम दिया। संस्थान की व्यवस्थापिका सुनीता कटारा ने बतलाया कि रविवार 28 दिसम्बर को कृष्ण जन्म एवं नन्द महोत्सव मनाया जायेगा।

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