जयपुर। अपनी लेखनी से काव्य-जगत् को समृद्ध करने वाले देश के सुप्रसिद्ध कवि -साहित्यकार शब्द-सारथी कविद्वय डॉ.ताराप्रकाश जोशी व डॉ. हरिराम आचार्य को आचार्यकुलम् तथा जोशीसंकुल द्वारा गीतगुञ्जनम् -संगीतमय भावांजलि अर्पित की गई। जवाहर कला केन्द्र के कृष्णायन सभागार में साहित्य-जगत् के विशिष्ट विद्वानों, साहित्यप्रेमियों और परिवारजनों ने अपने संस्मरणों, कविद्वय की कविताओं के वाचन और उनके गीतों के गायन से स्मृतियों को पुनर्जीवित किया।
उपस्थित सुधीजनों द्वारा डॉ. ताराप्रकाश जोशी तथा डॉ. हरिराम आचार्य को पुष्पांजलि अर्पित करने के पश्चात् डॉ. नरेन्द्र शर्मा “कुसुम, लोकेश कुमार सिंह “साहिल”, ईश्वरदत्त माथुर, कैप्टन अरोड़ा तथा सरला व्यास ने अनेक प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कविद्वय की मित्रता, उनकी कविता-यात्रा और उनमें वर्णित संवेदनाओं पर प्रकाश डाला। प्रमुख वक्ताओं ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि सांसारिक व्यस्तताओं को निभाते हुए भी दोनों अभिन्न मित्र अपनी आंतरिक भावनाओं को शब्दों से कागज पर व्यक्त करते रहे और बिना किसी लालसा के लिखते हुए अपनी कलम से सबके हृदय में अपना विशिष्ट स्थान अंकित करते रहे ।
सामाजिक समस्याओं तथा मानवीय रिश्तों के साथ- साथ जीवन में सद्प्रेरणा प्रदान करने वाले सार्थक शब्दों से कविता रचने वाले डॉ. जोशी व डॉ. आचार्य की कुछ कविताओं का पाठ सुरेश शर्मा, सर्वेश व्यास, निकी चतुर्वेदी तथा पीयूष बसवाल ने किया। मेरे पांव तुम्हारी गति हो, ज़ख़्मों की मीनाकारी, यन्त्र युग का गीत तथा नवयुग की कविता जैसी कालजयी रचनाओं से कार्यक्रम को जीवन्तता प्रदान करने में कविता-वाचन करना सार्थक रहा ।
शब्दों और कविताओं के क्रम के बाद अशोक मुखर्जी एवं संगीता शर्मा तथा समूह द्वारा कविद्वय की कतिपय कविताओं का सुमधुर और भावपूर्ण गायन किया गया, जिससे संपूर्ण माहौल गीत-संगीत से गुन्जित हो गया। कार्यक्रम का संचालन राजीव आचार्य ने किया।




















