जयपुर। मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी बुधवार को ब्रह्म योग में भैरव अष्टमी के रूप में भक्ति भाव से मनाई गई। छोटीकाशी के सभी भैरव मंदिरों में नगर कोतवाल के रूप में विशेष पूजा-अर्चना की गई। सुबह वेद मंत्रोच्चार के साथ पंचामृत से अभिषेक किया गया। हवन में आहुतियां प्रदान करने के बाद विभिन्न शारदीय व्यंजनों का भोग लगाया गया।
इसके बाद महाआरती की गई। न्यूगेट कोडेश्वर भैरवनाथ जी मंदिर में भैरव जयंती पर छप्पन भोग की सजाई गई। एमआई रोड स्थित तत्काल भैरव मंदिर, आमेर के हर्षनाथ भैरव मंदिर और मां दुर्गा के मंदिर स्थित भैरव मंदिरों में सुबह से रात तक धार्मिक आयोजन हुए। कई भैरव मंदिरों में भजन संध्या, सुंदरकांड पाठ, चोला परिवर्तन, छप्पन भोग, अखंड रामायण पारायण के आयोजन हुए। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने छोटीकाशी के प्राचीन भैरव मंदिरों में ढोक लगाई। रात्रि को भजन संध्याओं का आयोजन किया गया। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भैरव को रुद्रांश, अर्थात् भगवान शिव का ही एक स्वरूप माना गया है।




















