भारत की गौरवशाली परम्परा में एक ग्रहण है नशा: डॉ. चिन्मय पंड्या

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Addiction is an eclipse in the glorious tradition of India: Dr. Chinmay Pandya
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जयपुर। अखिल विश्व गायत्री परिवार के अंतराष्ट्रीय कार्यालय शांतिकुंज हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर और युवा मनीषी डॉ. चिन्मय पंड्या ने कहा कि भारत सदा सौभाग्य की भूमि रहा है। अवतारों का देश है। यह भी सत्य है कि भारत जागेगा तभी विश्व जागेगा। गौरव की भूमि है। महान ऋाषियों, महान गुरूओं का देश है। भारत ने सदा विश्व को दशा दिखाने का कार्य किया।

डॉ. चिन्मय पंड्या गुरुवार को किरण पथ मानसरोवर स्थित वेदना निवारण केन्द्र के नशा मुक्ति केन्द्र के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि देश की अपनी गौरवशाली परंपरा है। इस महान परम्परा कोई ग्रहण है तो नशा है। देश में करीब सोलह करोड़ लोग कोई न कोई नशा करते है। नशे से केवल एक व्यक्ति नहीं पूरा परिवार और समाज प्रभावित होता है। नशा पूरे समाज को अंदर से खोखला कर देता है। नशे के कारण देश एक आदर्श नागरिक खो देता है। यह प्रसन्नता की बात है कि गायत्री परिवार ने मानसरोवर के वेदना निवारण केन्द्र में नशा मुक्ति केन्द्र की शुरुआत की है।

भगवान करे कोई नशा नहीं करें, अगर कोई करता भी है तो इस केन्द्र के माध्यम से नशा छुड़ाने का कार्य हो, ऐसी भगवान से कामना है। एक दिवसीय जयपुर प्रवास पर आए पंड्या ने वेदना निवारण केन्द्र में नशामुक्ति केन्द्र की पट्टिका का अनावरण कर उद्घाटन किया। डॉ. पंड्या ने यज्ञ शाला में मां गायत्री और गुरू सत्ता का पूजन किया। उन्होंने नशा मुक्ति केन्द्र के उद्घाटन से पूर्व यहां संचालित निशुल्क विद्यालय का अवलोकन किया।

पाकिस्तान से आए हिंदू परिवारों के बच्चों से मिले:

डॉ. चिन्मय पंड्या वेदना निवारण केन्द्र में संचालित विद्यालय में अध्ययनरत बच्चों से भी मिले। पाकिस्तान से भारत आए हिंदू परिवारों के बच्चों ने सामूहिक गायत्री मंत्रोच्चार कर स्वागत किया। बच्चों ने उनके स्वागत में जगह-जगह रंगोली बनाई और पूरे विद्यालय को सजाया। गायत्री परिवार राजस्थान प्रांत के केन्द्रीय समन्वयक गौरीशंकर सैनी, गायत्री परिवार राजस्थान के समन्वयक ओम प्रकाश अग्रवाल, जयपुर उप जोन समन्वयक सुशील कुमार शर्मा, सतीश भाटी, डॉ. प्रशांत भारद्वाज, संतोष शर्मा, केदार शर्मा, गायत्री शक्तिपीठ कालवाड़ के मुख्य ट्रस्टी धर्मसिंह राजावत सहित अन्य वरिष्ठ परिजनों ने राजस्थानी साफा पहनाकर और माल्यार्पण कर पंड्या का स्वागत किया।

माता भगवती देवी स्मृति वाटिका का लोकार्पण:

डॉ. पंड्या ने ब्रह्मपुरी स्थित गायत्री शक्तिपीठ में माता भगवती देवी स्मृति नवग्रह और नक्षत्र वाटिका का लोकार्पण किया। इस मौके पर पंड्या ने कहा कि हर घर में औषधीय पौधों होने चाहिए। इसके सेवन से व्यक्ति बीमार नहीं पड़ता। शक्तिपीठ के व्यवस्थापक सोहन लाल शर्मा, सह व्यवस्थापक मणिशंकर चौधरी, गायत्री शक्तिपीठ वाटिका के व्यवस्थापक रणवीर सिंह चौधरी एवं अन्य ने डॉ. पंड्या का स्वागत किया। डॉ. पंड्या ने गायत्री मंत्र और समाधि स्थल पर पुष्प अर्पित किए।

एक अक्टूबर तक राजस्थान प्रवास पर रहेंगे:

उल्लेखनीय है कि बारिश का दौर थमते ही जिस प्रकार सरकार ने निर्माण कार्य शुरू कर दिए हैं उसी प्रकार गायत्री परिवार ने भी मानसून की अघोषित विदाई के साथ समाज के नव निर्माण के कार्यों को भी एक बार फिर गति दे दी है। प्रदेश भर में पांच से 108 कुंडीय यज्ञों की श्रृंखला एक बार फिर शुरू कर दी गई है। बरसात के मौसम में जो निर्माण कार्य किया गया उसका लोकार्पण इसी माह के शेष दिनों में होगा। नए शक्तिपीठों के भूमि पूजन और बने हुए शक्तिपीठों में गायत्री माता की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन भी तय हो चुके हैं। इसके लिए शांतिकुंज हरिद्वार से टोलियां निकल चुकी है।

बड़े आयोजन करवाने के लिए देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर और देश के युवा मनीषी डॉ. चिन्मय पंड्या एक अक्टूबर तक राजस्थान प्रवास पर रहेंगे। गायत्री परिवार राजस्थान प्रांत के केन्द्रीय जोन समन्वयक गौरीशंकर सैनी ने बताया कि डॉ. पंड्या 27 सितंबर को चूरू के रतनगढ़ में आयोजित प्रबुद्ध वर्ग की गोष्ठी में शामिल होंगे। 28-29 सितंबर को सादुलपुर में होने वाले 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ में शामिल होंगे।

30 सितंबर को पुन: रतनगढ़ में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होकर 30 सितंबर को जयपुर के कालवाड़ में 108 कुंडीय गायत्री महायज्ञ से पूर्व निकलने वाली 11 हजार महिलाओं की कलशयात्रा को रवाना करेंगे। एक अक्टूबर को उदयपुर में होने वाले भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल होंगे। सभी स्थानों पर उनका उद्बोधन होगा।

अगले माह निकलेगी ज्योति कलश यात्रा: गायत्री परिवार राजस्थान जोन के समन्वयक ओप्रकाश अग्रवाल ने बताया कि नवंबर माह के प्रथम सप्ताह में शांतिकुंज से आए सात ज्योति कलश प्रदेश की परिक्रमा करने निकलेंगे। यह परिक्रमा 2026 तक चलेगी। ज्योति कलश रथ के आगमन की सूचना देने के लिए जयपुर में घर-घर जाकर पीले चावल बांटे जा रहे हैं। लोगों को साधना से जोड़ते हुए जीवन को संवारने का संदेश दिया जा रहा है।

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