बजट घोषणाओं की क्रियान्विति के लिए आक्रोशित राज्य कर्मचारियों ने किया विरोध-प्रदर्शन

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Angry state employees stage protest demanding implementation of budget announcements
Angry state employees stage protest demanding implementation of budget announcements

जयपुर। बजट घोषणाओं के पूरा नहीं होने व लंबित मांगों के अनदेखी के विरोध में प्रदेश के हजारों राज्य कर्मचारियों ने अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के आह्वान पर बुधवार को शहीद स्मारक पर राज्य के हजारों आक्रोशित कर्मियों ने धरना दिया और मुख्यमंत्री कार्यालय में मुख्यमंत्री के सचिव शिखर अग्रवाल को ज्ञापन प्रस्तुत किया । इसमें सभी जिलों के हजारों कर्मचारी शामिल हुए। इस दौरान जयपुर जिले के विभागों के कर्मचारी जुलूस के रूप में भी धरना स्थल पर पहुंचे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।

धरना स्थल पर सभा को संबोधित करते हुए महासंघ एकीकृत के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह राठौड़ ने सरकार को आगाह किया कि सरकार कर्मचारियों के सब्र की परीक्षा नहीं ले और बजट घोषणाओं की शीघ्र क्रियान्विति करे साथ ही महासंघ के लंबित मांग पत्र 19 मई 2025 की न्यायोचित मांगों का भी द्विपक्षीय वार्ता के जरिए शीघ्र निराकरण करें, अन्यथा इसके गंभीर परिणाम होंगे।

राठौड़ ने कहा कि सरकार ने जो बजट घोषणाएं पूरी नहीं की है उनमें विशेष है कि प्लेसमेंट एजेंसीज के माध्यम से कार्मिकों को संविदा पर नियोजित किए जाने की व्यवस्था को चरणबद्ध रुप से समाप्त कर कार्मिक विभाग के अधीन राजकीय संस्था का गठन करना ।कांट्रेक्चुअल हायरिंग टू सिविल पोस्ट रूल्स के अंतर्गत नियोजित कार्मिकों को पदोन्नति में दो वर्ष की छूट प्रदान करना। मंत्रालयिक कार्मिक, जेल प्रहरी, स्कूल व्याख्याता एवं प्रबोधक आदि कैडरों का पुनर्गठन कर उनके पदोन्नति के अवसरों में वृद्धि करना। समस्त मानदेय कर्मियों यथा मिनी आंगनवाड़ी /आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा कार्यकर्ता, सहयोगिनी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, मिड डे मील, कुक कम हेल्पर, लाँगरी, होमगार्ड एवं रेक्सको एवं शिशु पालन गृह कार्यकर्ताओं इत्यादि को सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त ग्रेच्युटी प्रदान करना।

जनता जल योजना कर्मी, एम एन डी वाई , एम एन जे वाई, रसोईये / चौकीदारों को संविदा हायरिंग रूल्स- 2022 में शामिल करना आदि शामिल हैं। इस धरने में सर्वसम्मति से यह भी निर्णय लिया गया कि यदि सरकार इन मांगों पर वार्ता के बाद भी गंभीर नहीं होती है तो राज्य स्तर पर उग्र आंदोलन प्रारंभ किया जाएगा।

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