अशोक गहलोत वंदे मातरम् के इतिहास पर फैला रहे है भ्रम: घनश्याम तिवाड़ी

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Ashok Gehlot is spreading confusion about the history of Vande Mataram: Ghanshyam Tiwari
Ashok Gehlot is spreading confusion about the history of Vande Mataram: Ghanshyam Tiwari

जयपुर। सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के वंदे मातरम् पर दिए गए बयानों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अशोक गहलोत इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश कर रहे हैं और राष्ट्रगीत को भी राजनीति के दायरे में घसीट रहे हैं। तिवाड़ी ने कहा कि ‘वंदे मातरम्’ गीत देश के स्वतंत्रता सेनानियों में आज़ादी की चेतना जगा रहा था, यह गीत तभी से भारत के क्रांतिकारियों के लिए एक मंत्र और प्रेरणा का स्रोत बन गया।

कांग्रेस के अधिवेशन में मौलाना अली, शौकत अली जैसे नेताओं ने इसका विरोध किया था। इसके बाद में वंदे मातरम् को धर्म से जोड़ने की कोशिश की गई, जो कि पूरी तरह गलत और दुर्भाग्यपूर्ण था। तिवाड़ी ने कहा कि 1875 में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने वंदे मातरम् गीत की रचना की। 1882 में आनंदमठ में प्रकाशित हुआ, जिसमें इस गीत को प्रमुख स्थान मिला। 1905 बंग-भंग आंदोलन के समय यह गीत स्वदेशी आंदोलन का प्रेरणास्रोत बन गया।

सांसद घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश में वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने पर यह आयोजन राष्ट्रभक्ति की भावना को जागृत करने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अगर अशोक गहलोत और कांग्रेस सच में राष्ट्रभक्ति की भावना रखते हैं, तो उन्हें इस आयोजन में शामिल होकर देश के साथ खड़ा होना चाहिए था, न कि इससे दूरी बनानी चाहिए थी।

उन्होंने कहा कि भाजपा राष्ट्रवादी विचारधारा वाली पार्टी है और वंदे मातरम् गीत के प्रति उसकी आस्था श्रद्धा और राष्ट्रसेवा की भावना से जुड़ी है। भाजपा इस गीत को राजनीतिक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय एकता और प्रेरणा का प्रतीक मानती है। तिवाड़ी ने कहा कि वंदे मातरम् गीत भारत के हर नागरिक के दिल में बसता है। यह किसी पार्टी की नहीं, बल्कि पूरे देश की राष्ट्रभावना का प्रतीक है। भाजपा इस गीत के माध्यम से देशभर में राष्ट्रभक्ति और एकता का संदेश देती रहेगी।

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