जयपुर। भाद्रपद कृष्ण द्वादशी बुधवार को गौवत्सा द्वादशी (बच्छ बारस) के रूप में मनाई गई। महिलाओं ने गाय और बछड़े की पूजा कर अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना की। गाय के खुरों में थोड़ा सा पानी डालकर चुनरी ओढ़ाई। सींग के मोली बांधकर रात भर भीगे मूंग-मोठ-चना और मक्का की रोटी खिलाई।
बछड़े वाली गाय की पूजा कर कथा सुनी। कई स्थानों पर महिलाओं ने सामूहिक रूप से व्रत की कथा सुनी। गाय के पूंछ को सिर पर लगाकर महिलाओं ने गाय और बछड़े की परिक्रमा करते हुए पुत्र के लिए मंगल कामना की। बड़ी संख्या में महिलाओं ने विभिन्न गौशालाओं में जाकर बछड़े वाली गाय का पूजन किया।
गेहूं की चपाती से किया परहेज:
घरों में महिलाओं ने गेहूं की जगह मक्का, चना, मूंग और मोठ खाने में काम लिया। घरों में सब्जी चाकू से काटे बिना ही बनाई गई। या फिर ऐसी सब्जी बनाई गई जिसे काटने की नौबत ही नहीं आई। महिलाओं ने दिनभर चाकू से कटे फल का त्याग किया।