जयपुर। कार्तिक मास की पूर्णिमा समाप्त होते ही गुरुवार से मार्गशीर्ष मास का शुभारंभ हो गया है। इसे धर्म और दान का महीना कहा गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस मास में किए गए पुण्य कर्म, स्नान, जप, दान और पूजा से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है। सर्दी शुरू होने के कारण इस माह में मंदिरों में ठाकुरजी की दिनचर्या में परिवर्तन दिखाई देगा।
ज्योतिषाचार्य पंडित सुरेन्द्र गौड़ के अनुसार अगहन मास में जरूरतमंदों को वस्त्र, अन्न, गुड़, तिल या कंबल का दान करने से व्यक्ति को अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के अनुसार, इस काल में किए गए शुभ कार्यों से न केवल जीवन में सौभाग्य बढ़ता है बल्कि मानसिक शांति और संतोष भी प्राप्त होता है।
भगवान श्रीकृष्ण का प्रिय महीना
श्रीमद् भगवगीता में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है मासानां मार्गशीर्षोऽहम् अर्थात महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूं। इसीलिए यह महीना भगवान श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय माना गया है। इस मास में उनकी आराधना करने से विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसी अवधि में गीता जयंती भी मनाई जाएगी।
धार्मिक कथा के अनुसार मार्गशीर्ष मास में वृंदावन की गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण को पाने के लिए व्रत रखकर यमुना स्नान किया था। इस कथा के कारण यह महीना भक्ति, प्रेम और समर्पण का प्रतीक बन गया है।
नाम और नक्षत्र का संबंध
मार्गशीर्ष मास का नाम पूर्णिमा को आने वाले मृगशीर्ष नक्षत्र के कारण पड़ा है। मार्ग का अर्थ है रास्ता और शीर्ष का अर्थ है श्रेष्ठ — अर्थात यह महीना धर्म और सदाचार के श्रेष्ठ मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।




















