जयपुर। राजधानी में निवास कर रहे पश्चिम बंगाल के लोग शनिवार से दो अक्टूबर तक मां दुर्गा की आराधना में लीन रहेंगे। आनंद मेले से दुर्गा पूजा महोत्सव का शुभारंभ होगा और सिंदूर उत्सव के साथ समापन। सभी स्थानों पर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। मुख्य रूप से यह आयोजन बनीपार्क, सी स्कीम, मालवीय नगर में होगा। इसी कड़ी में मुरलीपुरा के महादेव नगर में कल से दुर्गा पूजा महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।
मां दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती, गणेशजी और कार्तिकेय की विशाल प्रतिमाओं का बंगाली समाज भक्तिभाव से पूजन करेगा। इस बार दुर्गा पांडाल काफी बड़ा बनाया गया है। इस मौके पर पूजा-अर्चना, अनुष्ठान, सांस्कृतिक कार्यक्रम, भोग वितरण, खेलकूद गतिविधियां एवं आनंद मेले का आयोजन होगा। आयोजन 27 सितम्बर से 2 अक्टूबर तक चलेगा। महा पंचमी पूजा 27 सितम्बर को शाम 7 बजे होगी। इस मौके पर आनंद मेला आयोजित होगा।
महाषष्ठी पूजा (कल्पारंभ, आमंत्रण एवं अभिषेक) 28 सितम्बर को सुबह 7 बजे होगी। शाम 6:30 बजे से आमंत्रण-अभिभाष एवं रात्रि 8 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। महासप्तमी (29 सितम्बर) को सुबह 8 बजे से पूजा, पुष्पांजलि, खेलकूद प्रतियोगिता, भोग वितरण तथा शाम को संध्या आरती एवं सांस्कृतिक संध्या होगी। महा अष्टमी (30 सितम्बर) को कुमारी पूजा, संधि पूजा, बलिदान, भोग वितरण, संध्या आरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। महा नवमी (1 अक्टूबर) को सुबह पूजा एवं पुष्पांजलि, खेल प्रतियोगिता, भोग वितरण और रात्रि को सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे। विजयादशमी (2 अक्टूबर) को दशमी पूजा होगी। दधी कर्म, दर्पण विसर्जन, सिंदूर उत्सव के बाद शाम 4 बजे प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा।
मालवीय नगर के सेक्टर 10 में होगी दुर्गा पूजा
मालवीय नगर सेक्टर-10 स्थित जयपुर कालीबाड़ी सोसायटी में दुर्गा पूजा महोत्सव 27 सितंबर से 2 अक्टूबर तक आयोजित किया जाएगा। महापंचमी पर 27 सितंबर को शाम 7 बजे महोत्सव का शुभारंभ होगा। इस अवसर पर आनंद मेला फूड फेस्टिवल की शुरुआत होगी। दुर्गा प्रतिमा बंगाल की विशेष कलीपाट और बंदन नगर की रोशनी कला के अनुसार सजाई जाएगी।
सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. सुबीर देबनाथ ने बताया कि महा षष्ठी और महासप्तमी पर सुबह-शाम पूजा, पुष्पांजलि, भोग वितरण, खेल और रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। महाअष्टमी और महानवमी पर कुमारी पूजा, संध्या आरती और पारंपरिक धनुची नृत्य होगा।
महादशमी पर 2 अक्टूबर को सिंदूर उत्सव के बाद प्रतिमा विसर्जन किया जाएगा। रात्रि 8 बजे शांति जल एवं विजयादशमी अनुष्ठान के साथ महोत्सव संपन्न होगा।