June 28, 2025, 2:14 pm
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साइबर ठगी से सावधान! एक फोटो या वीडियो से भी हो सकता है मोबाइल हैक

जयपुर। साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए पुलिस महानिदेशक साइबर अपराध, हेमंत प्रियदर्शी के निर्देश पर राजस्थान पुलिस की साइबर विंग लगातार जागरूकता अभियान चला रही है। आमजन को मोबाइल पर आने वाले संदिग्ध फोटो, वीडियो और लिंक से सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

इन दिनों एक नई साइबर ठगी तेजी से फैल रही है, जिसमें अपराधी व्हाट्सएप या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से संदिग्ध फोटो, वीडियो, ऑडियो या लिंक भेजते हैं। जैसे ही उपयोगकर्ता इन्हें ओपन या डाउनलोड करता है, फोन साइबर अपराधियों के कब्जे में चला जाता है और वह उसका दुरुपयोग कर बैंक खाते तक खाली कर सकते हैं।

फोन हैक कैसे होता है? जानिए स्टेग्नोग्राफ़ी तकनीक के बारे में

साइबर कमांडो महेश कुमार ने बताया कि इस तकनीक को स्टेग्नोग्राफ़ी (Steganography) कहा जाता है, जिसका अर्थ है “छिपाकर संदेश भेजना”। इस प्रक्रिया में फोटो, वीडियो या ऑडियो जैसी फाइलों में मैलिशियस कोड छुपा दिया जाता है, जो फाइल खोलते ही सक्रिय हो जाता है और उपयोगकर्ता का फोन हैक हो जाता है। फोन हैक होने के बाद आपके मैसेज, कॉल, ओटीपी, बैंकिंग ऐप्स और अन्य निजी डेटा साइबर अपराधियों के नियंत्रण में आ जाते हैं। कुछ मामलों में एपीके फाइल अपने आप फोन में इंस्टॉल हो जाती है, जो और भी खतरनाक है।

साइबर ठग फिशिंग लिंक के जरिए फर्जी ईमेल या मैसेज के माध्यम से आकर्षक ऑफर, लॉटरी या सरकारी योजना का लालच देकर लिंक भेजते हैं। लिंक पर क्लिक करने पर आप नकली वेबसाइट पर पहुंचते हैं, जहां मांगी गई जानकारी ठगों तक पहुंच जाती है। सोशल मीडिया डाउनलोडिंग स्कैम भी चल रहा है। इसमें ठग किसी की तस्वीर भेजते हैं और पहचानने को कहते हैं। जैसे ही आप फोटो डाउनलोड करते हैं, हैकर आपके मोबाइल और अकाउंट पर नियंत्रण पा लेता है।

साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने आमजन को निम्न सावधानियां बरतने की सलाह दी है। अनजान स्रोत से प्राप्त कोई भी फाइल (फोटो, ऑडियो, वीडियो, पीडीएफ, एपीके) डाउनलोड न करें। मीडिया ऑटो डाउनलोड सेटिंग बंद करें (मोबाइल डेटा, वाई-फाई, रोमिंग के लिए अलग-अलग विकल्प में)। फोन में अनचाही एप्स की जांच करें, यदि कोई अनजान ऐप दिखे तो तुरंत हटाएं।

सोशल मीडिया और बैंक अकाउंट्स में टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन चालू करें फोन और ऐप्स को नियमित रूप से अपडेट करते रहें, ताकि सुरक्षा पैच सक्रिय रहें। यदि आप साइबर ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो तत्काल साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें।

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