भागवत कथा मनोरंजन का नहीं आत्म रंजन का विषय: ब्रजबिहारी

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जयपुर। श्री जगद्गुरु परमार्थिक न्यास के तत्वावधान में गोविंद देवजी मंदिर के पास स्थित जगद्गुरु आश्रम में चल रही श्रीमद् भगवद कथा में शनिवार को कथा के मुख्य यजमान चंद्र महेश झालानी ने सप्तनीक पूजन किया। व्यासपीठ से भागवत भूषण आचार्य डॉ ब्रजबिहारी ने कहा कि भगवद कथा सुनने की नहीं पीने की वस्तु है। यह ऐसा रसायन है जो पी लेगा, उसके राग को दूर करके अनुराग पैदा करती है।

जहां राग होगा वहां द्वेष होगा, यश होगा और अपयश भी होगा, लाभ होगा वहां हानि भी होगी। भगवद का रसपान करने पर भक्त को भगवान से अनुराग हो जाता हे। विवेक जागृत हो जाता है। इसलिए भगवद् कथा मनोरंजन का प्रदर्शन नहीं आत्म रंजन का विषय है। एक अन्य प्रसंग में उन्होंने कहा कि मनुष्य जीवन विषय वस्तु को भोगने के लिए नहीं मिला है, लेकिन आज का मानव भगवान की भक्ति को छोड़ विषय वस्तु को भोगने में लगा हुआ है।

उसका सारा ध्यान संसारिक विषयों को भोगने में ही लगा हुआ है। मानव जीवन का उद्देश्य भगवद् प्राप्ति है। अगर हम ये दृढ़ निश्चय कर लेंगे कि हमें जीवन में भगवान को पाना ही है तो हमारे लिए इससे प्रभु से बढक़र कोई और सुख, संपत्ति या सम्पदा नहीं है। मुख्य आयोजक सत्य नारायण तिवाड़ी ने बताया कि उत्तर काशी के स्वामी अक्षयानंद महाराज, हरिद्वार के स्वामी राजेश्वराश्रम महाराज कथा में आरती उतारी।

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