कृष्ण पक्ष की अष्टमी को ब्रह्म योग में भक्ति भाव से मनाई गई भैरव अष्टमी

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Bhairav ​​Ashtami was celebrated with devotion in Brahma Yoga on the Ashtami of Krishna Paksha.
Bhairav ​​Ashtami was celebrated with devotion in Brahma Yoga on the Ashtami of Krishna Paksha.

जयपुर। मार्गशीर्ष माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी बुधवार को ब्रह्म योग में भैरव अष्टमी के रूप में मनाई जाएगी। छोटीकाशी के सभी भैरव मंदिरों में दिनभर विशेष अनुष्ठान, पूजन-अभिषेक, हवन, भोग एवं महाआरती के कार्यक्रम संपन्न होंगे। न्यूगेट, एमआई रोड स्थित तत्काल भैरव मंदिर, आमेर के हर्षनाथ भैरव मंदिर और मां दुर्गा के मंदिर स्थित भैरव मंदिरों मेें सुबह पंचामृत अभिषेक, श्रृंगार, महाआरती की जाएगी।

कई भैरव मंदिरों में भजन संध्या, सुंदरकांड पाठ, चोला परिवर्तन, छप्पन भोग, अखंड रामायण पारायण के आयोजन होंगे। ज्योतिषाचार्य डॉ. पुरुषोत्तम गौड़ ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भैरव को रुद्रांश, अर्थात् भगवान शिव का ही एक स्वरूप माना गया है। मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी की मध्यरात्रि भैरव के प्राकट्य की मानी जाती है।

प्रदोष काल में भैरव पूजन की विशेष महत्ता है। भैरव तंत्र और साधना ग्रंथों में वैदिक, तामसी और राजसी तीनों प्रकार की पूजा का उल्लेख मिलता है। ब्रह्म योग में की गई भैरव साधना विशेष फलदायी होती है और यह उच्च पद प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करती है।

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