दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान जयपुर शाखा के तत्वाधान में भजन संध्या का कार्यक्रम का आयोजन

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Bhajan Sandhya program organized under the aegis of Divya Jyoti Jagrati Sansthan Jaipur branch
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झोटवाड़ा। दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान जयपुर शाखा के तत्वाधान में झोटवाड़ा क्षेत्र के रामनगर कॉलोनी में सुखराम सैन के निवास स्थान पर भजन संध्या का कार्यक्रम रखा गया। जिसमें दिव्य सुमधुर भक्तिमय भजनों के साथ शुरुआत की गई जिसमें राम भजन कर प्राणी तेरी दो दिन की जिंदगानी, काना रे काना तेरे बिन मन नहीं माना, शिव का नाम जपो संसारी जैसे भजनों ने सभी भक्तों का मन मोह लिया। दिव्यगुरु आशुतोष जी महाराज* की शिष्या साध्वी लोकेशा भारती जी ने सत्संग का वास्तविक अर्थ बताया कि सत्संग का मतलब ईश्वर की कोरी बातें करना नहीं है नहीं है, पूर्ण ब्रह्मनिष्ठ सद्गुरु की कृपा से ईश्वर का अपने घट में दर्शन कराना ही वास्तविक सत्संग है। इसलिए हमें विचार करना होगा कि हमें कौनसे गुरु की शरण में जाना है।

किआ पढ़िऐ किआ गुनीऐ। किआ बेद पूरानां सुनीये।।
पड़े सुने किआ होई। जउ सहज न मिलिओ सोई।।

गुरुवाणी में भी कहा है कि उस पढ़ने-सुनने एवं विचार करने का क्या लाभ जिससे प्रत्यक्ष अनुभूति ही न हो। ज़ब तक वह प्रभु ही नहीं मिले तो केवल मात्र पाठ करने का क्या लाभ ?

अर्थात् जिस प्रकार अंधेरे घर में दीपक की बातें करने मात्र से अंधकार दूर नहीं हो सकता। उसी प्रकार वाणी की चतुरता या वाक्य की निपुणता के द्वारा चाहे परमात्मा की कितनी भी महिमा क्यों न गा लें, मनुष्य का कल्याण नहीं हो सकता। वह भवसागर से पार नहीं उतर सकता । गुरु वह नहीं है कि उसने कोई मंत्र दे दिया, कोई नाम जपने को दे दिया अथवा कोई अन्य युक्ति बता दी और हम कहने लगें कि हमने तो गुरु धारण कर लिया। यह उचित नहीं है, अपितु जब तक सत्य मार्ग को बताने वाला गुरु नहीं मिल जाता तब तक हमें सतगुरु की खोज करते रहना चाहिए, क्योंकि ज्ञान की प्राप्ति तो गुरु के द्वारा ही सम्भव है। सच्चा ज्ञान वही है जो हमारे सभी धार्मिक ग्रन्थ, वेद, शास्त्रों में बताया गया है।

यदि हमें शास्त्र सम्मत विधि के अनुसार ज्ञान नहीं हुआ तो इसका अर्थ है कि अभी हमें गुरु की उपलब्धि नहीं हुई। विचार करने योग्य बात है कि बीमार पड़ने पर हम एक डॉक्टर से दवाई लेते हैं और यदि रोग ठीक नहीं हुआ तो तुरन्त डॉक्टर बदलते हैं, जबकि यह शरीर तो नाशवान है, एक न एक दिन तो खत्म होना ही है। फिर भी इसके बचाव के लिये हम कितना प्रयास, कितनी चिन्ता, किस प्रकार डॉक्टर की खोज करते हैं। उसी प्रकार यदि पूर्ण-गुरु की प्राप्ति नहीं हुई तो आपको खोज करनी है अगर फिर भी शास्त्र सम्मत पूर्ण गुरु की प्राप्ति नहीं हुई तो दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में आपका स्वागत है।

भजन संध्या में जेंद्र सिंह (पार्षद वार्ड नंबर 40), कुंदन बना एवं कई गणमान्य लोग उपस्थिति रहें अंत में कार्यक्रम श्री हरि की पावन आरती के साथ सम्पन्न हुआ।

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