July 27, 2024, 7:41 am
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लुप्त होती कला को आगे बढ़ा रहे हैं पाबूसर के भोपा-भोपी

जयपुर। मोमासर उत्सव में पाबूसर से आए कलाकारों ने देशी-विदेशी दर्शकों के सामने भोपा समुदाय की संस्कृति को साकार किया। ये कलाकार हैं भंवर, उनकी माताजी पिताजी और पत्नी संतरा देवी। सास, बहू, बेटे की जुगलबंदी कमाल की थी।

ये परिवार बरसों से पाबू जी की फड़ को गीतों में पिरोकर गाता आ रहा है, कई पीढ़ियाँ यह काम करती आ रही हैं। भंवर के 3 भाई भी भोपा गीत गाते आ रहे हैं। संतरा देवी और भंवर की शादी कम उम्र में ही हो गई थी। उस समय पर संतरा देवी को गीत गाना नहीं आता था, उनके पति भंवर ने उन्हें गाना सिखाया। इस समुदाय में अमूमन शादी से पहले माँ-बेटे गाते हैं और शादी के बाद पति-पत्नी साथ मिलकर गाते हैं।

इनका गायन समूह के रूप में होता है। महिलाएं गीत गाती हैं और पुरुष रावण हत्था बजाते हुए नृत्य करते हैं। पुरुष भोपा और महिलाएं भोपी कहलाती हैं। ये लोग समाज के विभिन्न रीति-रिवाजों, उत्सवों, नेगचार पर गाने बजाकर गाते हैं। पाबू जी के अलावा ये भर्तहरी के गीत व अन्य जागरण गीत भी गाते हैं। ये कलाकार फ्रांस व अमेरिका जैसे देशों में भी अपनी अद्भुत संस्कृति की मिठास को बिखेर चुके हैं।

‘मोमासर उत्सव’ का आयोजन बीकानेर जिले के मोमासर गांव में होता है। मोमासर उत्सव का इस बार यह 11वां संस्करण है। यह उत्सव राजस्थान की संस्कृति, अद्भुत कला और दुर्लभ लोक संगीत को बरसों से सहेजता आ रहा है। यह राजस्थान का एकमात्र ऐसा आयोजन है जिसमें इतने बड़े स्तर पर समुदाय और आमजन की सहभागिता रहती है।

गौरतलब है कि मोमासर उत्सव का आयोजन ‘जाजम फाउंडेशन’ के द्वारा किया जाता है। इसके मुख्य प्रायोजक सुरवि चैरिटेबल ट्रस्ट है। इसके सह-प्रायोजक संचेती ग्रुप हैं। नागपाल इवेंट्स-जयपुर, विश-मेकर्स-दिल्ली, लोक-धुनी फाउंडेशन, डांसिंग पिकॉक और मर्करी कम्यूनिकेशन इस उत्सव के आयोजन सहयोग हैं।

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