July 27, 2024, 7:10 am
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भाजपा जाट सांसद और उपराष्ट्रपति को नैतिकता के नाते अब पहलवानों के पक्ष में बोलने की जरूरत: हनुमान बेनीवाल

जयपुर। राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष व खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल ने ट्वीट कर कहा की भारतीय कुश्ती महासंघ में अपनी तानाशाही चला रहे। एक बाहुबली सांसद पर लगे गंभीर आरोपों के बाद देश की पहलवान बेटियों द्वारा न्याय के लिए किए गए आंदोलन को केंद्र में बैठी भाजपा सरकार द्वारा अनदेखा किया गया। अब फिर से उसी सांसद के करीबी को कुश्ती संघ का अध्यक्ष बनाने से आहत होकर देश के लिए अंतराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन करने वाली समाज की बेटी साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ने का फैसला किया।

पहलवान बजरंग पुनिया ने भी सरकार के तानाशाह रवैए से आहत होकर अपना पद्मश्री लौटाने का फैसला किया। अब प्रश्न यह उठता है की जब बंगाल के सांसद द्वारा देश के उप राष्ट्रपति की मिमिक्री करने की बात को देश की लोक सभा और राज्य सभा में बैठे भाजपा के जाट समाज के सांसद और खुद उप-राष्ट्रपति कौम का अपमान बता रहे है। भाजपा के प्रवक्ता और नेता उस मिमिक्री को जाटों का अपमान बता रहे तो क्या देश का नाम अंतर्राष्ट्रीय पटल पर रोशन करने वाली पहलवान बेटियों के साथ जब अन्याय हुआ।

जब जंतर मंतर पर उन्होंने आंदोलन किया और अब जिस तरह आहत होकर कुश्ती छोड़ने और पद्मश्री लौटाने जैसे फैसले पहलवानों ने किए तो जाट सांसद और उप -राष्ट्रपति खामोश क्यों है। बेनीवाल ने कहा की उनको पहलवानो से जुड़े मामले में समाज का अपमान क्यों नजर नहीं आ रहा है ? देश के अन्नदाता जब सड़को पर बैठे थे,एक हजार से अधिक किसानों ने काले कृषि कानूनों के खिलाफ चले आंदोलन में शहादत दी तब भी धनखड़ साहब और भाजपा के जाट सांसद चुप रहे।

क्या वो भाजपा के दबाव में अब भी चुप रहेंगे या देश का नाम अंतर्राष्ट्रीय पटल पर रोशन करने वाले समाज के पहलवानों के पक्ष में अपनी बात रखेंगे ? चुंकि बंगाल के एक सांसद जिनका कौम को अपमानित करने का कोई उद्देश्य नही था बावजूद इसके मिमिक्री के वाक्ये को भाजपा सांसदों ने कौम से जोड़ दिया । जबकि पहलवानों के मामले में तो प्रत्यक्ष रूप से केंद्र सरकार द्वारा कौम का मखौल उड़ाया गया और उड़ाया जा रहा है

ऐसे में भाजपा के जाट सांसदो को भी अब अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है। हनुमान बेनीवाल ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से अपील करते हुए कहा की आप संवैधानिक पद पर आसीन है। आप पहलवानों के मामले में सीधे संज्ञान लेकर न्यायोचित बात के लिए केंद्र को निर्देशित कर सकते है ऐसे में अब आपको भी बोलने की जरूरत है।

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