बीएमकॉन हेम: सीएमएल ब्लड कैंसर के मरीजों के लिए अब पर्सनलाइज टारगेट दवा बनी नई उम्मीद

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BMCON HEM: Personalized target medicine has become a new hope for CML blood cancer patients
BMCON HEM: Personalized target medicine has become a new hope for CML blood cancer patients

जयपुर। ब्लड कैंसर की एक गंभीर किस्म क्रोनिक मायलोइड ल्यूकेमिया (सीएमएल) है। अब तक इसके इलाज में टीकेआई नामक दवा दी जाती रही हैं, जिनसे लाखों मरीजों को फायदा मिला। लेकिन समय के साथ कई मरीजों में इनके कई साइड इफेक्टस भी नजर आ रहे है। ऐसे मरीजों के लिए नई दवा अस्सीमिनिब एक उम्मीद बनकर सामने आई है। यह जानकारी बीएमकॉन हेम के तीसरे दिन मुंबई से आए डॉ एम बी अग्रवाल ने दी।

भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल की ओर से चल रही बीएमकॉन हेमः हीलिंग थ्रू हीमैटोलॉजी कॉन्फ्रेंस का समापन रविवार को हुआ। इस मौके पर डॉ एम बी अग्रवाल ने बताया कि सीएमएल रोगियों में जहां पारंपरिक दवाएँ प्रोटीन के एक हिस्से को रोकती थीं, वहीं अस्सीमिनिब उस प्रोटीन के दूसरे हिस्से पर काम करती है। इस वजह से यह उन मरीजों में भी असरदार साबित हो रही है, जिन पर पहले की दवाएँ काम नहीं करतीं। इस दवा से मरीजों के जीवन की गुणवत्ता बेहतर हो सकती है और लंबे समय तक रोग को नियंत्रित रखा जा सकता है।

कॉन्फ्रेंस के अंतिम दिन की शुरुआत पेपर और पोस्टर प्रेजेंटेशन से हुई, जिसका संचालन दिल्ली के डॉ. दिनेश भूरानी ने किया। देशभर से आए युवा डॉक्टरों और शोधकर्ताओं ने अपने शोध कार्य प्रस्तुत किए। साथ ही मोहाली से आए डॉ. सुभाष वर्मा ने प्रतिभागियों से संवाद किया और जटिल मामलों के समाधान एवं क्लीनिकल निर्णय लेने की बारीकियों को साझा किया।

मुंबई से आए डॉ. अभय भावे ने एक शोध के माध्यम से बताया कि किस तरह सीएमल बीमारी में लंबे समय तक दवा लेने वाले मरीज अब बिना दवा के भी रोग मुक्त जीवन जी सकते हैं। दिल्ली के डॉ. मोहित चौधरी ने मायलोमा के मरीजों के उपचार में दी जाने वाली थेरेपी के बारे में जानकारी दी। बेंगलुरु के डॉ. मल्लिकार्जुन कलशेट्टी ने कार-टी सेल थेरेपी की नई रणनीतियों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह थेरेपी भविष्य में मायलोमा उपचार का महत्वपूर्ण हिस्सा बन सकती है।

ई-पोस्टर एवं ओरल प्रेज़ेंटेशन परिणाम

बीएमकॉन के दौरान आयोजित ई-पोस्टर प्रस्तुति प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार डॉ. सलीला और डॉ. ऐश्वर्या को तथा द्वितीय पुरस्कार डॉ अक्षिता सक्सेना को दिया गया। ओरल प्रेज़ेंटेशन प्रतियोगिता में ब्लड बैंक श्रेणी में प्रथम पुरस्कार डॉ. कार्तिक बालाजी एस. तथा द्वितीय पुरस्कार डॉ. वहाबुल कुद्दुस को मिला। वहीं पैथोलॉजी श्रेणी में प्रथम पुरस्कार डॉ. नेहा और द्वितीय पुरस्कार डॉ. आयुषी दुबे को दिया गया।

इन प्रतियोगिताओं ने युवा चिकित्सकों और शोधार्थियों को अपने नवाचारपूर्ण कार्यों को प्रस्तुत करने का मंच उपलब्ध कराया। अंत में कॉन्फ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ उपेन्द्र शर्मा, जॉइंट ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री डॉ प्रकाश सिंह शेखावत, डॉ शशि बंसल और डॉ रिचा गुप्ता ने सभी को कॉन्फ्रेंस के सफल आयोजन पर सभी को धन्यवाद ज्ञापित किया।

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