सी के बिरला हॉस्पिटल्स और आईएएमएम राजस्थान चैप्टर की ओर से आयोजित हुआ सर्टिफिकेट कोर्स और हैंड्स-ऑन वर्कशॉप

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Certificate Course and Hands-on Workshop organised by C K Birla Hospitals and IAMM Rajasthan Chapter
Certificate Course and Hands-on Workshop organised by C K Birla Hospitals and IAMM Rajasthan Chapter

जयपुर। अस्पतालों में संक्रमण रोकना आज की सबसे बड़ी चुनौती बन चुका है। चाहे ऑपरेशन थिएटर हो, गहन चिकित्सा इकाई हो या फिर सामान्य वार्ड—स्वास्थ्यकर्मी और मरीज, दोनों के लिए संक्रमण से बचाव ही सुरक्षा की पहली सीढ़ी है। इन्हीं चुनौतियों और उनके समाधान पर मंथन करने के लिए सी के बिरला हॉस्पिटल्स, जयपुर और आईएएमएम राजस्थान चैप्टर की ओर से चौथा सर्टिफिकेट कोर्स और हैंड्स-ऑन वर्कशॉप आयोजित की गई। दो दिवसीय इस आयोजन में देशभर से आए विशेषज्ञों ने संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण पर गहन चर्चा की।

कोर्स के समन्वयक डॉ. योगेश गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम में बतौर स्पीकर डॉ. अपर्णा पांडे (सी के बिरला हॉस्पिटल्स), डॉ. रवीकांत पोरवाल (मणिपाल हॉस्पिटल), डॉ. सोनाली जैन (कैलाश हॉस्पिटल, दिल्ली), डॉ. विभा और डॉ. सुनीता (एसडीएमएच, जयपुर) तथा डॉ. एकादशी (महात्मा गांधी हॉस्पिटल) ने भाग लिया।

पहले दिन इन विषयों पर हुई चर्चा –

पहले दिन विशेषज्ञों ने स्टैण्डर्ड प्रीकॉशन, हैंड हाइजीन गाइडलाइन, पीपीई का सही उपयोग, ट्रांसमिशन-बेस्ड प्रीकॉशन, स्टरलाइजेशन व डिसइन्फेक्शन और अस्पताल में होने वाले संक्रमण (हॉस्पिटल एक्वायर्ड इन्फेक्शन) की रोकथाम जैसे विषयों पर रोशनी डाली। इसमें विशेष रूप से सीएयूटीआई (कैथेटर से जुड़ा मूत्रमार्ग संक्रमण), सीएलएबीएसआई (सेंट्रल लाइन से जुड़ा रक्त संक्रमण), एसएसआई (सर्जिकल साइट इन्फेक्शन), वीएपी (वेंटिलेटर से जुड़ा संक्रमण) और एनएसआई (सुई चुभने से होने वाला संक्रमण) की परिभाषा और रोकथाम पर चर्चा हुई।

दूसरे दिन ही प्रैक्टिकल वर्कशॉप –

डॉ. योगेश गुप्ता ने बताया कि दूसरे दिन का फोकस इन्फेक्शन कंट्रोल रिस्क असेसमेंट और प्रैक्टिकल वर्कशॉप्स पर रहा। इसमें प्रतिभागियों को रोकथाम से जुड़े केयर बंडल्स और हैंड हाइजीन ऑडिट की प्रशिक्षणात्मक जानकारी दी गई। विशेषज्ञों ने बताया कि अस्पतालों में संक्रमण रोकने के लिए नियमित ऑडिट, हेल्थकेयर वर्कर्स का टीकाकरण और समय पर पोस्ट-एक्सपोजर प्रोफाइलैक्सिस बेहद ज़रूरी है।

डॉ. योगेश कुमार गुप्ता ने बताया कि इस तरह की वर्कशॉप्स का उद्देश्य डॉक्टरों, माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स और इन्फेक्शन कंट्रोल टीम को नवीनतम प्रोटोकॉल से अपडेट करना है ताकि मरीजों को सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराया जा सके। इस कोर्स में 30 चयनित प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिन्हें प्रशिक्षण पूर्ण करने पर सर्टिफिकेट भी प्रदान किया गया।

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