छठ महापर्व : पूजा-अर्चना के लिए बनाए गए कृत्रिम तालाब

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Chhath Mahaparva: Artificial ponds created for worship
Chhath Mahaparva: Artificial ponds created for worship

जयपुर। सांगानेर के प्रताप नगर स्थित देहलावास बालाजी मंदिर के समीप रविवार को अरुणोदय जन विकास परिषद के तत्वावधान में छठ महापर्व प्रारंभ हुआ। शाम को खरना के साथ ही 36 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ हुआ। खरना के व्रती पूरे दिन उपवास कर शाम को भगवान सूर्य देव की पूजा प्रसाद ग्रहण करेंगे । जिसके पश्चात व्रती निर्जला अनुष्ठान का संकल्प लेंगे।

मैदान में बनाया कृत्रित तालाब

छठ महापर्व के अवसर अरुणोदय जन विकास परिषद के तत्वावधान में देहलावास बालाजी मंदिर के सामने हाउसिंग बोर्ड के ग्राउंड को समतल कर कृत्रिम तालाब बनाया गया है। जिसमें खड़े रहकर व्रती भगवान सूर्य देव को जल अर्पण करेंगे।

अरुणोदय जन विकास परिषद के प्रमोद पाठक ने बताया इस व्रत में व्रती लौकी (कद्दू), अरवा चावल, चना दाल, आंवले की चटनी आदि से बना प्रसाद ग्रहण करते हैं।रविवार को खरना में अरवा चावल व गुड़ से बनी खीर, रोटी और फलाहार के साथ प्रसाद तैयार किया गया है । छठी मैया को प्रसाद अर्पित कर व्रत करने वाले इसे ग्रहण करेंगे। इसके बाद यह प्रसाद परिवार के लोगों में बांटा जाएगा।

251 किलो आटे से तैयार होगा प्रसाद

अरुणोदय जन विकास परिषद के सुनील सिंह ने बताया की परिषद की तरफ से 251 किलो आटे का प्रसाद तैयार होगा। इसके अलावा फल भी रहेंगे। पर्व के समापन पर इसका वितरण किया जाएगा।

ऐसे तैयार होता है प्रसाद

खरना वाले दिन गुड़ की खीर बनाई जाती है। दूध, चावल और गुड़ का मिश्रण होता है। गेहूं के आटे की रोटी भी बनाई जाती है। केला को भी प्रसाद के रूप में जरूर शामिल किया जाता है। पहले प्रसाद सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित किया जाता है। यहीं से निर्जला व्रत की शुरुआत होती है। छठ महापर्व के चतुर्थ दिवसीय अनुष्ठान के तहत दूसरे दिन खरना के प्रसाद में ईख का कच्चा रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा, शरीर के दाग-धब्बे समाप्त हो जाते हैं। इसके प्रसाद से तेजस्विता, निरोगता और बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।

पारंपरिक गीत के बीच तैयार होगा प्रसाद

छठ महापर्व के खरना पूजा का प्रसाद बनाते समय व्रती और उनके परिजन घरों में पूरी शुद्धता व पवित्रता के साथ पारंपरिक लोकगीत गाते हुए तैयार करते हैं। छठ की पूजा सामग्री के रूप में व्रती सिंदूर, चावल, बांस की टोकरी, धूप, शकरकंद, पत्ता लगा हुआ गन्ना, नारियल, कुमकुम, कपूर, सुपारी, हल्दी, अदरक, पान, दीपक, घी, गेहूं, गंगाजल आदि का उपयोग करते हैं। इस महापर्व में मुख्य प्रसाद के लिए ठेकुआ का विशेष महत्व है।

गोविंददेव जी मंदिर में छठ महोत्सव श्रद्धालुओं ने किया सामूहिक सूर्य अर्घ्यदान

इधर रविवार को आराध्य देव राधा गोविंद देवजी मंदिर परिसर में छठ महोत्सव मनाया गया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने श्रद्धा, भक्ति और सामूहिक एकता के भाव से इस लोक आस्था के महापर्व में भाग लिया।

कार्यक्रम का शुभारंभ मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सान्निध्य में हुआ। इस अवसर पर गायत्री शक्तिपीठ, ब्रह्मपुरी की टोली ने सूर्य गायत्री पंचकुंडीय महायज्ञ संपन्न कराया। गायत्री कचोलिया और दिनेश कुमार ने वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ यज्ञ सम्पन्न कराया।

यज्ञ के बाद श्रद्धालुओं ने गंगा जल सहित विभिन्न पवित्र नदियों के जल से सामूहिक सूर्य अर्घ्यदान किया। मंदिर के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी ने ठाकुर श्री राधा गोविंद देवजी, वेदमाता गायत्री और गुरुसत्ता के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर महायज्ञ का शुभारंभ किया। पूरे परिसर में “ॐ सूर्याय नमः” और “जय छठी मैया” के जयघोष से वातावरण भक्तिमय बना रहा।

पदाधिकारियों का सम्मान भी किया

छठ महोत्सव के आयोजन में सहयोग देने वाली समितियों के पदाधिकारियों का सम्मान भी किया गया। बिहार समाज संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन शर्मा, राष्ट्रीय महामंत्री चन्दन कुमार, संगठन मंत्री सुशील कुमार सिन्हा सहित कई पदाधिकारी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

गोविंद देवजी मंदिर के सेवाधिकारी मानस गोस्वामी और गायत्री शक्तिपीठ ब्रह्मपुरी के सह-व्यवस्थापक मणि शंकर पाटीदार ने सभी अतिथियों को दुपट्टा ओढ़ाकर, प्रसाद एवं साहित्य भेंट कर सम्मानित किया। मंदिर प्रबंधन की ओर से छठ व्रतियों को सूर्य अर्घ्य अर्पण हेतु सामग्री भी प्रदान की गई।

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