जयपुर । सीआईडी इंटेलिजेंस राजस्थान की जयपुर टीम पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसियों की जासूसी गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा रही थी। इसी कड़ी निगरानी के दौरान यह खुलासा हुआ कि फिरोजपुर पंजाब निवासी प्रकाश सिंह उर्फ बादल सोशल मीडिया के माध्यम से आईएसआई के संपर्क में था। यह एजेंट राजस्थान, पंजाब और गुजरात से भारतीय सेना से जुड़ी सामरिक महत्व की गोपनीय सूचनाएं एकत्रित कर पाकिस्तानी हैंडलर्स को भेज रहा था।
पुलिस महानिरीक्षक इंटेलिजेंस प्रफुल्ल कुमार ने बताया कि मामले की 27 नवंबर को संदिग्ध प्रकाश सिंह उर्फ बादल को श्रीगंगानगर में सैन्य प्रतिष्ठान साधूवाली के आसपास देखे जाने की सूचना मिली। बॉर्डर इंटेलिजेंस टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए संदिग्ध को हिरासत में लिया। प्रारंभिक जांच में उसके मोबाइल फोन पर विदेशी और पाकिस्तानी व्हाट्सएप नंबरों से लगातार संपर्क में रहने की पुष्टि हुई।
ऑपरेशन सिंदूर के समय से आईएसआई के संपर्क में था
श्रीगंगानगर के ज्वाइंट इंटेरोगेशन सेंटर में सभी आसूचना एजेंसियों द्वारा गहन पूछताछ की गई। पूछताछ में सामने आया कि यह एजेंट ऑपरेशन सिंदूर के समय से ही आईएसआई के निरंतर संपर्क में था। वह भारतीय सेना के वाहनों, सैन्य संस्थानों, सीमावर्ती क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, पुलों, सड़कों, रेलवे लाइनों और नए निर्माण कार्यों जैसी सामरिक जानकारी पाकिस्तान स्थित अपने हैंडलर्स को उपलब्ध करा रहा था।
ओटीपी सप्लाई और फंडिंग
जासूसी के अलावा बादल एक और गंभीर राष्ट्रविरोधी गतिविधि में शामिल था। दुश्मन देश की मांग पर वह भारतीय व्यक्तियों के नाम पर जारी मोबाइल नंबरों के ओटीपी उपलब्ध करवाता था। इन ओटीपी का उपयोग पाकिस्तानी एजेंट भारतीय नंबरों से व्हाट्सएप डाउनलोड कर जासूसी और राष्ट्रविरोधी गतिविधियां संचालित करने के लिए करते थे। इस मदद के बदले में संदिग्ध ने धनराशि भी प्राप्त की थी।
शासकीय गुप्त बात अधिनियम के तहत गिरफ्तारी
मामले की गंभीरता को देखते हुए संदिग्ध को आगे की कार्रवाई के लिए जयपुर के केंद्रीय पूछताछ केंद्र लाया गया। यहां सभी आसूचना एजेंसियों द्वारा पूछताछ और मोबाइल के तकनीकी परीक्षण से प्राप्त डेटा से उपरोक्त सभी तथ्यों की पुष्टि हुई। अंतः आरोपी प्रकाश सिंह उर्फ बादल (34) के खिलाफ शासकीय गुप्त बात अधिनियम 1923 के तहत स्पेशल पुलिस स्टेशन जयपुर पर मुकदमा दर्ज कर सोमवार को गिरफ्तार कर लिया गया।




















