जयपुर। चैत्र कृष्ण सप्तमी सोमवार को लोकपर्व शीतलाष्टमी प्रदेश भर में धूमधाम से मनाई गई। महिलाओं ने सूर्योदय से पूर्व उठकर ठंडे पानी से स्नान कर पूजा की थाली तैयार की । मिट्टी के नौ कंडवारों में रांधा पुआ पर बनाए गए ठंडे पकवानों को भरा। जिसके बाद मिट्टी के करवे में ठंडा पानी भरकर महिलाएं गीत गाती हुई शीतला माता मंदिर पहुंची ।
होली पर बनाई बडक़ुल्लों की माला चढ़ाकर मटके में रात को भरे पानी से शीतला माता को स्नान कराया। मनुहार कर माता को कांजी बड़ा, मोहनथाल, गुंजिया, पेठे, सकरपारे, पूड़ी, पापड़ी, हलुआ, राबड़ी, मक्का की घाट, दही-राबड़ी, रोटी, पूड़ी, पुए, चावल, पचकुट्टे की सब्जी आदि पकवानों का भोग लगाया। शीतला माता की पूजा-अर्चना कर घर को आगजनी से बचाने और परिवार के सदस्यों को गर्मी जनित बीमारियों से बचाने की कामना की। शीतला माता को अर्पित जल घर में छिडक़ा। घर के सभी सदस्यों ने जल को चरणामृत के रूप में पीया।
चाकसू स्थित शील की डूंगरी, चंदलाई और नायला सहित कई स्थानों पर मेले भरे। महिलाएं सजधज कर गीत गाते हुए शीतला माता के मंदिर पहुंची। पथवारी पूज कर सुख-समृद्धि की कामना की। माता को शीतल व्यंजनों का भोग अर्पण कर बाद घरों में ठंडा भोजन ग्रहण किया। मान्यता के अनुसार शीतला माता के पूजन और ठंडा भोजन करने से माता प्रसन्न होती है और शीतला जनित रोगों का प्रकोप कम होता है।
कुम्हार के घर से पक्की गणगौर:
शीतला सप्तमी पर घरों में पक्की गणगौर विराजित की गई। गणगौर के साथ ईसर, माली, मालिन सहित चार जोड़ों की आकृतियां बनाई गई। सुबह गीत गाते हुए महिलाएं कुम्हार के घर गई और मिट्टी लेकर पहुंची। श्रीमन्न नारायण प्रन्यास की ओर से सीकर रोड ढहर के बालाजी स्थ्तिा श्रीमन्न नारायण धाम में महिलाओं सामूहिक रूप से ईसर- गणगौर का विधि-विधान से पूजन किया गया। डॉ. दीपिका शर्मा ने बताया कि गणगौर को लेकर सोलह शृंगार कर समूह में घर-घर पहुंची और नृत्य कर अनाज, ठंडा भोजन मांगकर लाई। इस दौरान बींद-बीनणी का स्वरूप धारण कर बालिकाओं की बिंदौरी निकाली गई।