जयपुर। भाद्रपद कृष्ण पक्ष द्वादशी सोमवार को गोवत्स द्वादशी (बच्छ बारस) के रूप में मनाई गई। पुत्र की सुख-समृद्धि और दीर्घायु की कामना के साथ महिलाओं ने गाय और बछड़े की पूजा की। व्रत रखकर महिलाओं ने अकुंरित मूंग, मोठ, बाजरा गाय और बछड़े को खिलाया। महिलाओं ने बच्छ बारस की कहानी भी सुनी। म्हारा कानूडे री लाज राखजे गऊ मैय्या समेत कई गीत गाए। शाम को आहार में भी यही अन्न ग्रहण किया गया। ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि बच्छ बारस पर्व मनाने के पीछे मान्यता है कि इस दिन श्रीकृष्ण पहली बार गाय चराने घर से बाहर निकले थे।
यह माता यशोदा और पुत्र कृष्ण के बीच प्रेम के जीवंत उदाहरण का प्रतीक पर्व है। गोशालाओं में बड़ी संख्या में महिलाओं ने सामूहिक रूप से गोवंश की पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना की। गायों को तिलक लगाकर हरी घास, गुड़ खिलाया। सांगानेर की पिंजरापोल गोशाला, दुर्गापुरा की गोशाला में मेले जैसा माहौल नजर आया।