पुलिस मुख्यालय की साइबर शाखा ने किया आगाह, कॉल मर्जिंग (कान्फ्रेसिंग) तकनीकी से हो सकती है साइबर धोखाधड़ी

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जयपुर। राजस्थान पुलिस की साइबर क्राइम शाखा द्वारा वर्तमान में साइबर ठगों द्वारा कॉल मर्जिंग (कॉन्फ्रेंसिंग) तकनीक से की जा रही साइबर धोखाधड़ी के संबंध में एडवाइजरी जारी की गई है। साईबर ठग बातचीत के दौरान पीड़ित के फोन पर ओटीपी सत्यापन के लिए आ रहे बैंक के इंटरैक्टिव वॉयस रिस्पांस (आईवीआर) कॉल को अपने साथी का होना बताकर पीड़ित को झांसे में लेकर कॉल को कॉन्फ्रेंसिंग में जुड़वाकर वेरिफिकेशन के लिये दी जा रही जानकारी को सुनकर ठगी कर रहे हैं।

पुलिस महानिदेशक साइबर क्राइम राजस्थान हेमंत प्रियदर्शी ने बताया कि साइबर अपराधों पर अंकुश लगाने एवं आमजन में साइबर अपराधों के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से पुलिस मुख्यालय की साइबर क्राइम शाखा द्वारा राज्य में लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। इसी क्रम में नेशनल पेमेंटस कॉर्पाेरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) ने साइबर धोखाधड़ी के नये तरीके कॉल मर्जिंग (कॉन्फ्रेसिंग) स्कैम के संबंध में चेतावनी जारी हैं।
डीजी प्रियदर्शी ने बताया कि कॉल मर्जिंग (कॉन्फ्रेसिंग) स्कैम में साइबर अपराधी, पीड़ित का बैंक डाटा व वित्तीय लेन-देन की जानकारी चोरी कर पीड़ित के बैंक व वित्तीय प्लेटफोर्म में प्रवेश करने की प्रक्रिया शुरू कर ओटीपी के सत्यापन का विकल्प फोन कॉल चुनता है।

इससे पहले ठग पीड़ित को पैसे कमाने का लुभावना ऑफर, नौकरी के लिये साक्षात्कार, निवेश में भारी मुनाफे का लालच देकर या अन्य वजह बता कॉल करता हैं। बातचीत के दौरान पीड़ित के फोन पर आ रहे बैंक के आईवीआर (वेरिफिकेशन) कॉल को अपने साथी का होना बताता है।

यहां से शुरू होता है ठगी का खेल

साइबर ठग पीड़ित को झांसे में लेकर के ओटीपी सत्यापन के लिए आ रहे प्टत् कॉल को कोन्फ्रसिंग में जुड़वा कर पीड़ित द्वारा वेरिफिकेशन के लिये दी जा रही जानकारी को सुनकर पीड़ित के बैंक व वित्तीय प्लेटफॉर्म में प्रवेश कर राशि की ठगी कर लेते हैं।

पुलिस की सलाह

प्रियदर्शनी ने आगाह करते हुए सलाह दी है कि यदि किसी अनजान नम्बर से कॉल आये, तब कॉल मर्जिंग (कॉन्फ्रेसिंग) और व्यक्तिगत जानकारी व ओटीपी शेयर ना करें। यदि कॉल के दौरान आपको लगता है कि आपकी कॉल किसी अन्य के साथ जोड़ दी गई हैं, तो तुरन्त डिस्कनेक्ट करें। ऐसी धोखाधड़ी की सूचना साइबर हेल्प लाईन नम्बर 1930, साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल या निकटतम पुलिस स्टेशन व साइबर पुलिस स्टेशन को दे।

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