जयपुर। राजस्थान में भारतीय चुनाव आयोग द्वारा चलाई जा रही विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया का फायदा उठाने के लिए साइबर अपराधियों ने नया तरीका अपनाया है। पुलिस महानिदेशक साइबर क्राइम संजय अग्रवाल ने आमजन को सतर्क किया है कि साइबर ठग सोशल मीडिया और एसएमएस पर फर्जी संदेश भेज रहे हैं। इन संदेशों में जनता को डराया जाता है कि यदि उन्होंने तुरंत एसआईआर फॉर्म नहीं भरा तो उनका वोटर कार्ड रद्द हो जाएगा या उनका नाम वोटर लिस्ट से काट दिया जाएगा।
फर्जी लिंक और पैसों की मांग
डीजीपी अग्रवाल ने बताया कि ठग इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक फर्जी लिंक भेजते हैं। लिंक पर क्लिक करने के बाद वे लोगों से प्रक्रिया पूरी करने के बहाने वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) या तथाकथित प्रोसेसिंग फीस,पैसा मांगते हैं। यह पूरी प्रक्रिया धोखाधड़ी पर आधारित है जिसका उद्देश्य गोपनीय जानकारी और धन लूटना है।
सुरक्षित रहने के लिए पांच महत्वपूर्ण उपाय
डीजीपी अग्रवाल ने साइबर अपराध से बचने के लिए आम जनता को दिए कि इस तरह के किसी भी कॉल या फर्जी लिंक पर भरोसा न करें। सीधे अपने बीएलओ से मिलकर ही फॉर्म सही भरें और जमा कराएं। वहीं एसआईआर या वोटर कार्ड अपडेट के लिए केवल सरकारी डोमेन जैसे gov.in या eci.gov.in का ही उपयोग करें। एसआईआर प्रक्रिया पूर्णतः निःशुल्क है।
निर्वाचन विभाग या कोई भी अधिकारी आपसे फोन,मैसेज पर ओटीपी, आधार नंबर, पैन या बैंक विवरण कभी नहीं मांगता है। ऐसी जानकारी किसी के साथ साझा न करें। किसी भी वेबसाइट पर विवरण दर्ज करने से पहले सुनिश्चित करें कि यूआरएल की शुरुआत एचटीटीपीएस से हो और एड्रेस बार में ताला (लॉक) का आइकन मौजूद हो। यदि आप साइबर कैफे से फॉर्म भर रहे हैं तो काम खत्म होने पर ‘ब्राउज़र हिस्ट्री’ और ‘कैश’ डिलीट करें। अनिवार्य रूप से लॉगआउट करें। ‘ऑटो-सेव’ पासवर्ड का विकल्प कभी न चुनें।
21 साल पुराने मामले में फरार चल रहे स्थाई वारंटी गिरफ्तार
सिंधी कैंप थाना पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 21 साल पुराने मामले में फरार चल रहे दो स्थाई वारंटी को गिरफ्तार किया गया है। थानाधिकारी माधो सिंह ने बताया कि पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 21 साल पुराने मामले में फरार चल रहे कमलेश पिनारा निवासी बस्सी जयपुर और ओमप्रकाश निवासी चौमू जयपुर को गिरफ्तार किया गया है।




















