दीक्षार्थी सुरेश शाह की जयपुर से मंदसौर के लिए हुई अश्रुपूरित बिदाई, 20 अप्रैल को मंदसौर में होगी जिनेश्वरी

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Diksha aspirant Suresh Shah had a tearful farewell from Jaipur to Mandsaur
Diksha aspirant Suresh Shah had a tearful farewell from Jaipur to Mandsaur

जयपुर। पूरे विश्व में छोटी काशी के नाम से विख्यात धार्मिक नगरी राजधानी जयपुर का सौभाग्य है कि दिगम्बर जैन प्रथमाचार्य शांति सागर से लेकर परपंरा के वर्तमान पंचम पट्टाधीश आचार्य वर्धमान सागर मुनिराज सहित अनेक आचार्यों, साधुओं से अनेक भव्य प्राणियों ने जैनेश्वरी दीक्षा लेकर मानव जीवन सार्थक किया।

बोली /मालवीय नगर जयपुर निवासी 75 वर्षीय ब्रह्मचारी सुरेश शाह अपने गृहस्थ अवस्था के पुत्र वर्तमान मुनि हितेंद्र सागर का अनुशरण कर 20 अप्रैल 2025 को मध्यप्रदेश के अतिशय क्षेत्र बही पार्श्वनाथ मंदसौर में आचार्य वर्धमान सागर मुनिराज से दीक्षा लेने हेतु मालवीय नगर समाज एवं परिजनों से मंगलवार को भावभीनी बिदाई लेकर मंदसौर के लिए प्रस्थान किया।

राजस्थान जैन सभा के उपाध्यक्ष विनोद जैन कोटखावदा के अनुसार इस मौके पर जहां दीक्षार्थी सुरेश शाह के संयमी होने की खुशी थी वहीं परिजनों को बिछड़ने का दुःख नेत्रों से झलक रहा था, जो सभी को भावुक कर रहा था। समाजसेवी राजेश पंचोलिया ने बताया कि आचार्य वर्धमान सागर मुनिराज ने इसके पूर्व दीक्षार्थी सुरेश शाह के तीसरे पुत्र महेन्द्र शाह ( वर्तमान में मुनि हितेंद्र सागर ,) मुनि विवर्जित सागर को दीक्षा दी है।

75 वर्षीय आचार्य वर्धमान सागर मुनिराज ने 56 वर्ष के संयमी जीवन में 35 वर्ष की आचार्य अवधि में अभी तक इसके पूर्व 114 दीक्षा दी है। 21 वी सदी के प्रथम आचार्य शांति सागर श्रमण परंपरा के सर्वोच्च्य नायक आचार्य वर्धमान सागर पंचम पट्टाधीश पद को सुशोभित कर रहे है। दीक्षार्थी सुरेश शाह को पत्नी श्रीमती सुनीता,पुत्र गजेंद्र शाह, मनोज, पुत्री कमलश्री सहित परिजनों हरक चंद लुहाड़िया, शिखर चंद जैन, रामपाल, नीरज लुहाड़िया , पारस कासलीवाल, मुकेश कासलीवाल,सुमित्रा छाबड़ा आदि सहित समाज बन्धुओं ने जुलूस के माध्यम से दीक्षार्थी श्री शाह को बिदाई दी।

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