खलकाणी माता के गदर्भ मेले में बादल घोड़ा व जोरावर बना आंखों का तारा

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जयपुर। राजधानी जयपुर के भावगढ़ बंध्या में चल रहे आश्वनी शुक्ला छठ से लगने वाला चार दिवसीय श्री खलकाणी माता का मेला इस बार दो दिन पहले ही शुरू हो गया। मेले में इस बार पिछली बार की तुलना में ज्यादा घोड़े—घोड़ी व खच्चर आए है। पशु ज्यादा और खरीदार कम आने से मेला अभी मंदा है। मेला आज अपने चरम पर रहा। खरीदार कम होने से पशु पालकों को मन माफिक कीमत नहीं मिल रही है। राजस्थान के अलावा पंचाब, हरियाणा, महाराष्ट्र, उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश से आए खरीदार मोलभाव कर रहे हैं। मेले में पहले दिन पांच हजार से दो लाख रुपए तक के 100 घोड़े-घोड़ी और बछेरों की बिक्री हुई।

पशुपालक खलकाणी माता मानव सेवा संस्थान के संरक्षक ठा. उम्मेद सिंह राजावत ने बताया कि चार दिवसीय श्री खलकाणी माता के मेले का नगर निगम की ओर से आयोजन किया जाता है। मेले में अब तक करीब 800 से अधिक घोड़े-घोड़ी पहुंच चुके है। मेला शुरू होने से पहले ही खरीद फरोख्त शुरू हो गई है। संस्थान के अध्यक्ष भगवत सिंह राजावत ने बताया कि राजस्थान सहित गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश से सैकड़ों पशुपालक गधे, घोड़े और खच्चर आदि की खरीदने के लिए पहुंच गए हैं। शाम के समय बादल और जोरावर ने प्रदर्शन किया । जिसे देखने के लिए लोगों की भीड़ जमा हुई। लोगों में दोनों घोड़ों के साथ सेल्फी लेने की होड मची रही।

चाबुक नहीं आवाज से काबू होता है बादल

मेले में सुमित जैन का 65 इंच हाइट का नकुरा बादल घोड़ा आकर्षण का केंद्र बना हुआ। उसे देख घोड़िया हिनहिनाने से अपने आप को रोक पाती। ट्रेनर शोकत अली ने बताया की बादल लगाम से नहीं आवाज से कंट्रोल होता है। इसकी कीमत करीब 51 लाख बताई जा रही है।

मेले में जोरावर का जोर

जयपुर से घोड़े को मेला दिखाने आए राजेंद्र सिंह का मारवाड़ी ने बताया कि उनका अच्छी नस्ल का काला 64 इंच उंची हाइट का जोरावर नामक घोड़ा लोगों का चहेता बना रहा। इसका पिता काला किंग और मां सोरठ और दादा काला कांटा और नानी ल्क्ष्मी है। सिंह ने बताया कि घोड़ा बेचने के लिए नहीं ब्रिडिंग के लिए है। उन्होंने घोड़े की कीमत 50 लाख बताई। इसे लाने ले जाने के लिए 20 लाख की एंबुलेंस बनवाई है।

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