डीएस ग्रुप की पल्स कैंडी बनी ₹750 करोड़ की उपभोक्ता ब्रांड

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DS Group's Pulse candy becomes ₹750 crore consumer brand
DS Group's Pulse candy becomes ₹750 crore consumer brand

नई दिल्ली। देश के प्रमुख एफएमसीजी समूहों में से एक धर्मपाल सत्यपाल ग्रुप (डीएस ग्रुप) ने अपनी लोकप्रिय ब्रांड पल्स को लेकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि की घोषणा की है। वित्त वर्ष 2024-25 में पल्स कैंडी ने उपभोक्ता मूल्य पर ₹750 करोड़ से अधिक की बिक्री दर्ज की है, यानी एक साल में 750 करोड़ पल्स कैंडीज़ बिकीं – जिससे यह भारत की सबसे ज़्यादा वितरित हार्ड बॉयल्ड कैंडी बन गई है। यह उपलब्धि पिछले 9 वर्षों से पल्स की मज़बूत मार्केट लीडरशिप और उपभोक्ताओं के बीच इसकी स्थायी लोकप्रियता को दर्शाती है।

पिछले तीन वित्तीय वर्षों में पल्स ने 15% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर दर्ज की है, जोकि पूरे हार्ड बॉयल्ड कैंडी उद्योग में 9% की तुलना में कहीं अधिक है। इस निरंतर वृद्धि ने ब्रांड की शहरी और ग्रामीण दोनों बाज़ारों में मज़बूत पकड़ को सिद्ध किया है, खासकर ऐसे समय में जब समग्र बाज़ार की स्थितियाँ उतनी अनुकूल नहीं रहीं। बाज़ार आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में पल्स कैंडी भारत के हार्ड बॉयल्ड कैंडी खंड में 19% बाज़ार हिस्सेदारी रखती है और लगातार आगे बढ़ रही है। प्रतिस्पर्धा से भरे इस क्षेत्र में यह बड़ी हिस्सेदारी उपभोक्ता आकर्षण और दोबारा खरीद की दर का प्रमाण है।

डीएस ग्रुप के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा, “पल्स को हम एक अग्रणी भारतीय पारंपरिक मिठाई ब्रांड के रूप में विकसित कर, इसे बहु-फॉर्मेट और बहु-उपयोग अवसरों वाला उत्पाद बनाना चाहते हैं। हम इसके लिए संबंधित उत्पाद श्रेणियों में विस्तार, नए फॉर्मेट्स की खोज और क्षेत्रीय स्वादों के अन्वेषण पर ध्यान देंगे। ब्रांड बिल्डिंग, उपभोक्ता जुड़ाव और गहरी बाज़ार पैठ हमारी प्राथमिकताएं हैं। हम घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में विस्तार को लेकर आक्रामक हैं। भारत में हमारी वितरण श्रृंखला 35 लाख से अधिक दुकानों तक पहुँच चुकी है।”

कुमार ने आगे कहा, “फ्रूटी और खट्टे स्वादों के संगम से बनी पल्स, खासकर कच्चे आम के मसालेदार कोर के साथ, एक अनोखा स्वाद अनुभव देती है। यह भारतीय स्वाद पसंदों के अनुरूप था और उस समय प्रचलित वेस्टर्न-स्टाइल कैंडीज़ से अलग था। पल्स का ₹1 का मूल्य निर्धारण एक साहसिक कदम था, जब 86% हार्ड बॉयल्ड मार्केट 50 पैसे के मूल्य बिंदु पर था। इससे न केवल मूल्य में बल्कि मूल्य अनुभव में भी बढ़ोतरी हुई, जो उपभोक्ताओं को भाया।”

2015 में लॉन्च के साथ ही पल्स ने इंडियन कंफेक्शनरी बाजार में क्रांति ला दी। डीएस ग्रुप ने अपने फ्लेवर और भारतीय पारंपरिक स्वादों की समझ के बल पर हार्ड बॉयल्ड कैंडी को एक ज़िंदादिल और परतदार स्वाद अनुभव में बदला। यह उत्पाद एक गहरी उपभोक्ता समझ से प्रेरित था – उस समय हार्ड बॉयल्ड सेगमेंट का 50% हिस्सा मैंगो फ्लेवर में था, जिसमें से 26% कच्चे आम का था।

कच्चे आम की इस पुरानी याद को डीएस ग्रुप ने एक इनोवेटिव उत्पाद में बदल दिया। पल्स की सफलता की जड़ें उसके कच्चे आम के स्वाद और खट्टे कोर में हैं, जिसने हर आयु वर्ग के उपभोक्ताओं को आकर्षित किया। यह पारंपरिक स्वादों को आधुनिक फॉर्मेट में लाकर हर वर्ग के लोगों को भाया।

“प्राण जाए पर पल्स ना जाए” जैसे नारे ने ब्रांड की विशिष्ट पहचान को और मज़बूती दी। इसके बाद आए नए फ्लेवर जैसे अमरूद, संतरा, अनानास और लीची, और ‘शॉट्स’ जैसे इनोवेटिव फॉर्मेट्स ने ब्रांड को लगातार ताज़ा और प्रासंगिक बनाए रखा।

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