जयपुर। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मंगलवार को जयपुर सहित देश के 19 अलग-अलग ठिकानों पर छापा मार रही है। वहीं कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे प्रताप सिंह खाचरियावास के सिविल लाईन्स आवास पर भी ईडी ने छापा मारा। मंगलवार सुबह करीब 5 बजे टीमें खाचरियावास के आवास पर पहुंच गई थीं। यह मामला रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पर्ल एग्रोटेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड में हुए 48 हजार करोड़ के घोटाले से जुड़ा है। ईडी से मिली जानकारी के अनुसार प्रताप सिंह और उनके परिवार के लोगों के नाम पर पीएसीएल में घोटाले का पैसा ट्रांसफर हुआ था। अधिकांश पैसा प्रॉपर्टी और अन्य सेक्टर में लगा दिया गया।
समर्थकों ने की सरकार के खिलाफ नारेबाजी
पूर्व मंत्री के घर छापेमारी की सूचना मिलते ही बड़ी संख्या में जयपुर के सिविल लाइंस स्थित आवास पर समर्थक पहुंच गए। समर्थकों ने इस कार्रवाई का विरोध किया। मौके पर भाजपा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। पुलिस ने पूर्व मंत्री के आवास के बाहर खड़ी समर्थक की गाड़ी को लेकर आपत्ति जताई।
उसी गाड़ी पर खड़े होकर समर्थक नारेबाजी कर रहे थे। इस दौरान समर्थकों की पुलिसकर्मियों से बहस भी हो गई। हालात को देखकर ईडी की टीम ने जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ और पुलिस उपायुक्त जयपुर दक्षिण (डीसीपी) दिगंत आनंद से बात की। इसके बाद मौके पर तीन थानों की पुलिस फोर्स भेजी गई। इस दौरान खाचरियावास भी आवास से बाहर आए और अपने समर्थकों को समझाया, तब जाकर मामला शांत हुआ।
लाखों लोगों के साथ हुई थी पीएसीएल में धोखाधड़ी
लाखों लोगों के साथ पीएसीएल में धोखाधड़ी हुई थी। इसके बाद यह केस सुप्रीम कोर्ट में चला गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 2 फरवरी 2016 को सेवानिवृत्त सीजेआई आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कोर्ट ने कमेटी से कहा था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम करके 6 महीने में लोगों को ब्याज सहित भुगतान करें।
सेबी के आकलन के अनुसार पीएसीएल की 1.86 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति है, जो निवेशकों की जमा राशि की तुलना में 4 गुना है। पीएसीएल कंपनी की योजनाओं को अवैध मानते हुए सेबी ने 22 अगस्त 2014 को कंपनी के कारोबार बंद कर दिए थे। इसके चलते निवेशकों की पूंजी कंपनी के पास जमा रह गई। इसके बाद कंपनी व सेबी के बीच सुप्रीम कोर्ट में केस चला और सेबी जीत गई।
राजस्थान में 28 लाख लोगों ने 2850 करोड़ किए थे निवेश
17 वर्ष तक राज्य में रियल एस्टेट में निवेश का काम करने वाली पीएसीएल में प्रदेश के 28 लाख लोगों ने करीब 2850 करोड़ और देश के 5.85 करोड़ लोगों ने कुल 49100 करोड़ का निवेश किया था। कंपनी पर बिहार, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, असम, कर्नाटक, जयपुर ग्रामीण, उदयपुर, आंध्र प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत आधे से ज्यादा राज्यों में मुकदमे दर्ज हैं। सबसे पहले जयपुर में इसका खुलासा होने पर मामला दर्ज हुआ था। जानकार सूत्रों की मानें तो इस केस में प्रताप सिंह की भागीदारी करीब 30 करोड़ की बताई जा रही है। ईडी की छापेमारी पूरी होने के बाद ही रिकवरी को लेकर कुछ कहा जा सकता है।हालांकि अभी तक ईडी ने आधिकारिक रूप से कोई गिरफ्तारी नहीं की है।
भाजपा सरकार के खिलाफ बोलते ही भेज देते है ईडी:खाचरियावास
प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि ईडी केंद्र के अधीन है। इस डबल इंजन की सरकार से ज्यादा उम्मीद नहीं कर सकता। मेरे परिवार के सदस्यों के यहां बेवजह सर्च चल रहा है। हम पूरा सर्च करवाएंगे। ईडी के अफसरों से हम पूरा सहयोग करेंगे। बीजेपी सरकार को मेरे बोलने से इतना दर्द है कि छापे डलवा दिए। मैं पिछले डेढ़ साल से इनके खिलाफ बोल रहा हूं। जो बीजेपी और उनकी सरकार के खिलाफ बोलता है। उसके घर ये ईडी भेज देते हैं। मैं बोल रहा था तो मुझे भी पहले से पता था कि ईडी तो एक दिन पहुंचेगी, यदि पहुंचेगी तो मैं भी तैयार हूं।
खाचरियावास ने बीजेपी नेताओं को चेतावनी देकर कहा कि बीजेपी के लोगों से कहना चाहूंगा आप ही सरकार में नहीं रहोगे। सरकारें बदलती रहती हैं। जमाना बदलेगा। आपने यह कार्रवाई शुरू की है, कल बीजेपी वालों के खिलाफ भी हम यही कार्रवाई करेंगे। डरते थोड़े ही हैं। मेरा नाम प्रताप सिंह खाचरियावास है। मुझे सबका इलाज करना आता है। अगर मेरे घर पर किसी ने गोली चलाई तो मैं भी उसके घर पर गोली चलाऊंगा। अब सड़कों पर उतरकर इसका बदला लिया जाएगा।
कांग्रेस नेताओं का हमला: ‘राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण’
ईडी की कार्रवाई को लेकर कांग्रेस आलाकमान हमलावर हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस रेड को केंद्र सरकार की राजनीतिक साजिश बताया।
भविष्य की राजनीति पर असर
जहां भाजपा इस कार्रवाई को कानून के तहत उठाया गया जरूरी कदम बता रही है, वहीं कांग्रेस इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई मान रही है। खाचरियावास जैसे जमीनी नेता की जांच और पीएसीएल जैसे बड़े घोटाले के तार यदि सच में किसी राजनीतिक हस्ती से जुड़ते हैं, तो इसका असर राजस्थान की आगामी राजनीति पर गहरा पड़ सकता है।