जयपुर। टोंक रोड सांगानेर स्थित श्री पिंजरापोल गौशाला में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला खेत से उद्योग तक संपन्न हुई। कार्यशाला में असम, ओडिशा, महाराष्ट्र, हरियाणा, बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान के विशेषज्ञों, किसानों और उद्यमियों ने भाग लिया और औषधीय खेती और जैविक उत्पाद निर्माण की विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण प्राप्त किया। कार्यशाला का उद्देश्य भारत को हर्बल, आयुर्वेद और ऑर्गेनिक खेती के क्षेत्र में विश्व का नेतृत्वकर्ता बनाना था। इसके तहत औषधीय पौधों की खेती, जैविक उत्पादों की मार्केटिंग, निर्यात प्रक्रिया तथा सरकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण दिया गया।
किसानों को दिया औषधीय पौधों की व्यवसायिक खेती का प्रशिक्षण: किसानों और उद्यमियों को औषधीय पौधों की खेती, ऑर्गेनिक सर्टिफिकेशन, बिजनेस मॉडल, ब्रांड स्ट्रेटेजी, लेबल डिजाइनिंग, एक्सपोर्ट डॉक्यूमेंटेशन और सरकारी योजनाओं से फंडिंग की प्रक्रिया पर प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा, प्रतिभागियों को वैदिक वन औषधि पादप केंद्र में भ्रमण कराकर औषधीय पौधों जैसे एलोवेरा, अश्वगंधा, सफेद मूसली, काली हल्दी, मोरिंगा, तुलसी की व्यावसायिक खेती का प्रायोगिक ज्ञान दिया गया। सभी प्रतिभागियों ने अपने-अपने राज्यों में औषधीय और ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।




















