जनकपूरी में पाँच दिवसीय महोत्सव: मुनि संघ का जयकारों के बीच भव्य मंगल प्रवेश

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जयपुर। बाईसवे तीर्थंकर नेमिनाथ की पावन धरा जनकपुरी ज्योतिनगर जैन मंदिर में बाईस थालों में बाईस कलश से पाद प्रक्षालन के साथ मुनि संघ का गाजे बाजे व जयकारों के मध्य भव्य मंगल प्रवेश हुआ । प्रबंध समिति अध्यक्ष पदम जैन बिलाला ने बताया कि करतारपुरा फाटक पर महिलाओं ने मंगल कलश ले रखे थे तथा यहाँ से मन्दिर जी के मध्य रास्ते में श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह मुनि समत्व सागर मुनि शील सागर का पादप्रक्षालन व आरती के साथ स्वागत किया । मन्दिर जी के बाहर युवा मंच के सदस्यों द्वारा भक्ति के साथ आरती की गई ।

मन्दिर के बाहर सजे हुए बाईस थालों के मध्य एक और पुरष व दूसरी और महिलाओं ने कलशों से पाद प्रक्षालन किया तथा मन्दिर के गेट पर जनकपूरी प्रबंध समिति के साथ कीर्तिनगर के महामंत्री जगदीश जैन व गायत्रीनगर के अध्यक्ष कैलाश छाबड़ा ने आरती कर परमेष्ठी का स्वागत किया ।

मन्दिर जी में अभिषेक के बाद मुनि ने ऋद्धि मंत्रों युक्त शांति धारा करायी । इसके बाद जुलूस ने जिनालय में धर्म सभा का रूप ले लिया । धर्म सभा राजस्थान युवा महासभा के पदाधिकारि अध्यक्ष प्रदीप जैन , महामंत्री विनोद जैन कोटखावदा ,सुभाष बज ,भारतभूषण जैन ,अमित शाह शकुन्तला बिंदायक्या द्वारा चित्र अनावरण व दीप प्रज्वलन तथा कनफूल देवी कासलीवाल परिवार द्वारा पादप्रक्षालन व शास्त्र भेंट के साथ शुरू हुई ।

सभा में मनोज झंझरी जगदीश जैन भँवर लाल महेंद्र जैन अभय जैन के अलावा बापूनगर , कीर्ति नगर , गायत्री नगर , महेश नगर आदि स्थानों के श्रावकों की उपस्थिति रही ।धर्म सभा में मुनि शील सागर जी के मधुर मंगल गान के बाद मुनि समत्व सागर जी ने प्रवचन में बारह भावना में संसार भावना समझाते हुए कहा कि इस तीन जगत में चिरकाल से मिथ्यात्व और मायाचार से यह जीव भ्रमण कर रहा है। इस जगत में केवल दु:ख ही दु:ख है, शाश्वत शांति नहीं है।

जिनशासन में दया व दान का बड़ा महत्व बताया है , दान में करुणा, दया व मुदिता की भावना प्रबल होती है और इसी भावना के कारण जीव दूसरे जीवों की भलाई की सोचता है। इस प्रकार संसार भावना के बार-बार चिंतवन करने से संसार से भय उत्पन्न होता है तब मोक्ष प्राप्ति के उपाय में मनुष्य की प्रवृत्ति होती है । सभा में पदम जैन बिलाला द्वारा आचार्य विशुद्ध सागर की रचना “जरा संभल” पढ़ी गई तथा महिला मंडल की अध्यक्ष शकुंतला बिंदायक्या, अनीता बिंदायक्या , सुलोचना पाटनी सुनीता भोंच द्वारा भक्ति साथ गुरु वंदन किया कुशल मंच संचालन शिखर चंद जैन ने किया ।

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