बड़ के बालाजी जैन मंदिर में मनाया गणिनी आर्यिका सुपार्श्वमती माताजी का 12 वां अंतरविलय वर्ष

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Ganini Aryika Suparshwamati Mataji's 12th inter-merger year celebrated at Bad Ke Balaji Jain temple
Ganini Aryika Suparshwamati Mataji's 12th inter-merger year celebrated at Bad Ke Balaji Jain temple

जयपुर। अजमेर रोड़ बड़ के बालाजी स्थित सुपार्श्व गार्डन सिटी के चंद्र प्रभु जैन मंदिर में बुधवार को गणिनी आर्यिका रत्न सुपार्श्वमती माताजी का 12 वां अंतरविलय वर्ष श्रद्धा – भक्ति के साथ आचार्य चैत्य सागर महाराज और मुनि महिमा सागर महाराज ससंघ सानिध्य में मनाया गया। इस अवसर पर प्रातः चंद्रप्रभ भगवान के स्वर्ण एवं रजत कलशों से कलशाभिषेक और शांतिधारा कर जिनेन्द्र प्रभु का अष्ट द्रव्यों के साथ पूजन किया गया ।

अखिल भारतीय दिगंबर जैन युवा एकता संघ अध्यक्ष अभिषेक जैन ने बताया की तिथि अनुसार मंगलवार के दिन पूज्य गुरुमां सुपार्श्वमती माताजी ने अपना देह का त्याग कर दिया था और अंतर विलीन हो गई, जिसके बाद सुपार्श्व गार्डन सिटी में ही माताजी की समाधि क्रिया संपन्न हुई थी, जिस स्थान पर अंतिम क्रिया संपन्न हुई थी अब वहां माताजी का चरण स्थल स्थापित किया जा चुका है उसे लोटस टेंपल का सवरूप प्रदान किया गया है जहां प्रति वर्ष माताजी के समाधि दिवस पर हजारों श्रद्धालुओं द्वारा गुरु पूजन, पुष्प चक्र आदि चढ़ाकर आरती करते है ।

ब्रह्मचारी जिनेंश भैया द्वारा मंगलवार को कार्यक्रम का संचालन किया गया था, इस दौरान पूजन, अर्घ चढ़ा विन्यांजली सभा का आयोजन किया गया था जिसे राजस्थान जैन सभा के पूर्व अध्यक्ष कमलबाबू जैन, अतिशय क्षेत्र बाड़ा पदमपुरा मंदिर समिति मानद मंत्री अधिवक्ता हेमंत सोगानी, प्रभात जैन सिंघई जबलपुर, श्रीपाल, भागचंद चूड़ीवाल गुवहाटी, सरोज चूड़ीवाल आंध्र प्रदेश, अजीत पाटनी श्याम नगर आदि सहित अन्य श्रद्धालुओं ने अपने – अपने शब्दों पूज्य माताजी के प्रति विनयांजलि प्रस्तुत कर श्रद्धांजलि दी।

ज्ञान का भंडार थी सुपार्श्वमती माताजी – आचार्य चैत्य सागर

विनयांजलि सभा के पश्चात अंत में आचार्य चैत्य सागर महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित किया ओर अपने आशीर्वचनों में कहा की जिस प्रकार एक पत्थर पारस बन सकता है ठीक उसी प्रकार सुपार्श्वमती माताजी के साथ जुड़ जाता है वह बिना ज्ञान को अर्जित किए जा नही पाता था, माताजी ज्ञान का ऐसा भंडार थी जिन्होंने ना केवल देशभर में भ्रमण कर जैन धर्म का प्रचार प्रसार किया बल्कि अनेकों शास्त्रों का लेखनकर विश्व पटल पर जैन धर्म का संरक्षण किया, माताजी द्वारा रचित शास्त्रों को केवल श्रावक ही गुणुवाद नही करते बल्कि साधु समाज भी उनके द्वारा रचित शास्त्रों का गुणुवाद कर स्वयं को अलौकिक करते है।

मुनि महिमा सागर महाराज का चातुर्मास पदमपुरा में ,कमेटी ने चढ़ाया भेंट कर लिया आशीर्वाद

राजधानी में इस वर्ष होने वाले चतुर्मासों में एक चातुर्मास की घोषणा मंगलवार को आचार्य चैत्य सागर महाराज द्वारा मुनि महिमा सागर महाराज के रूप में की, मंगलवार को अतिशय क्षेत्र बाड़ा पदमपुरा दिगंबर जैन मंदिर समिति मानद मंत्री हेमंत सौगनी, कोषाध्यक्ष राजकुमार कोठ्यारी, सदस्य सुभाष पाटनी, राजकुमार सेठी, योगेश टोडरका आदि ने आचार्य बाहुबली सागर महाराज के शिष्य मुनि महिमा सागर महाराज को श्रीफल भेंट कर आगामी चातुर्मास पदमपुरा में संपन्न करने के लिए निवेदन किया था और आशीर्वाद प्राप्त किया था, जिसकी घोषणा आचार्य चैत्य सागर महाराज ने कार्यक्रम के दौरान की, अगले दो – तीन का प्रवाह बड़ के बालाजी में रहने के बाद मुनि महिमा सागर महाराज श्याम नगर वशिष्ठ मार्ग जैन मंदिर के लिए विहार करेगें। कार्यक्रम के दोरान राजेंद्र बड़जात्या, प्रवीण बड़जात्या, मनोज जैन, राजेश सेठी, सुभाष सेठी, श्रीमती विमला ठोल्या, श्याम नगर अध्यक्ष निहालचंद जैन, प्रदीप चूड़ीवाल, सुरेंद्र पाटनी, अशोक जैन बारपेटा वाले इत्यादि सहित सैकड़ों श्रद्धालु सम्मिलित हुए।

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