जयपुर। चैत्र के वासंतिक नवरात्र का गुरूवार को समापन हुआ । घर- घर में माता रानी के समक्ष उगाए गए ज्वारे , मिट्टी के कुंडे सहित निकटवर्ती मंदिर में विसर्जन किया गया। पीपल और बड़ के पेड़ के नीचे भी कुंडे ,कलश और पूजन सामग्री का विसर्जन किया गया।
मुरलीपुरा क्षेत्र में गायत्री चेतना केन्द्र के कार्यकर्ताओं ने कुंडों से ज्वारे अलग कर उसे साफ कर रख लिया। इन कुंडों का पक्षियों के लिए परिंडा और चुग्गा पात्र बनाकर सदुपयोग किया जाएगा। लोगों ने ज्वारे के साथ हवन की राख, दीपक, पत्तल-दौने भी प्लास्टिक की थैली में डालकर मंदिर में पेड़ के नीचे रख दिए थे। पॉलिथिन को अनजाने में गाय खाद्य सामग्री समझ कर नहीं खाए।
इसलिए प्लास्टिक की थैली में जो सामग्री थी उसे अलग किया। कार्यकर्ताओं ने पूजा में उपयोग में ली हुई मालाओं को जमीन में गाडक़र पीपल और बड़ के पेड़ के आसपास की सफाई की। कुंडों के साथ कलशों का भी सदुपयोग किया जाएगा। इन कलशों में तुलसी रोपण कर लोगों को निशुल्क वितरण किया जाएगा। कुछ कलशों को पक्षीघर का रूप दिया जाएगा। कलश से बने पक्षी घर भी लोगों को निशुल्क वितरित किए जाएंगे।
गायत्री परिवार जयपुर उप जोन संयोजक सुशील कुमार शर्मा ने बताया कि जन सहयोग से जयपुर की तीनों शक्तिपीठों और सभी चेतना केन्द्रों के माध्यम से मिट्टी के कुंडों को मंदिरों से एकत्र कर उनका सदुपयोग किया जाएगा। कुंडों को परिंडा औ चुग्गा पात्र तथा कलशों को पक्षीघर तथा गमले का रूप देकर लोगों को निशुल्क वितरण किया जाएगा। मंदिरों के बाहर उपयोग में ली गई पूजन सामग्री के लगे ढेर का भी सही निस्तारण किया जाएगा।