भगवान अपने भक्तों का संकट खुद हर लेते हैं: पंडित मुरारी लाल

0
39

जयपुर। भागवत कथा महोत्सव के दौरान मंगलवार को भूरा पटेल मार्ग, अजय विहार, लालरपुरा में रुक्मणी विवाह का धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर व्यास पीठ से पं. मुरारीलाल शर्मा ने भक्तों को बताया कि रुक्मणी विवाह प्रसंग में भगवान कृष्ण और रुक्मणी के विवाह का वर्णन होता है, जिसमें कृष्ण सभी राजाओं को हराकर भगवान कृष्ण रुक्मणी को द्वारका लाते हैं और इसके बाद वहां विधिपूर्वक विवाह करते हैं।

भागवत कथा में भगवान कृष्ण और रुक्मणी के विवाह का विस्तृत वर्णन किया जाता है, जिसमें रुक्मणी की भगवान कृष्ण के प्रति भक्ति और उनका हरण करके विवाह करने का प्रसंग शामिल है। आयोजन से जुड़े भक्त धर्मपाल चौधरी ने बताया कि कथा के दौरान, श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की मनोहरी झांकी प्रस्तुत की गई। इस मौके पर मंगल गीतों से वातावरण भक्तिमय हो गया। भक्तों ने भगवान के एक से बढ़कर एक भजनों का गायन किया।

भजन मंडली ने रुक्मणी विवाह के प्रसंग में, भजन-कीर्तन भी प्रस्तुत किए जिन पर श्रद्धालुओं ने खूब नृत्य गान किया। कथा सुनने आए श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण और रुक्मणी की झांकी के दर्शन कर विवाह उत्सव में उत्साह से भाग लिया। कथा व्यास ने रुक्मणी विवाह के प्रसंग को विस्तार से सुनाया।

महाराज श्री ने आगे बताया कि रुक्मणि भगवान की माया के समान थीं, रुक्मणि ने मन ही मन यह निश्चित कर लिया था कि भगवान श्री कृष्ण ही मेरे लिए योग्य पति हैं लेकिन रुक्मिणी का भाई रूकमी श्रीकृष्ण से द्वेष रखता था इससे उसने उस विवाह को रोक कर, शिशुपाल को रुक्मिणी का पति बनाने का निश्चय किया, इससे रुक्मिणी को दुःख हुआ। उन्होंने अपने एक विश्वासपात्र को भगवान श्री कृष्ण के पास भेजा साथ ही अपने आने का प्रयोजन बताया।

इसके बाद श्री कृष्ण जी विदर्भ जा पहुंचे। उधर रुक्मणी का शिशुपाल के साथ विवाह की तैयारी हो रही थी। परंतु उनकी प्रार्थना का असर हुआ और श्री कृष्ण का विवाह रुक्मणी के साथ हुआ।

इस दौरान श्रद्धालु प्रसंग सुनकर भावविभोर हो गए। सभी भक्तों ने व्यास पीठ का पूजन कर आरती में भाग लिया। कथा विश्राम पर भक्तों को प्रसादी का वितरण किया गया। बुधवार को कथा महोत्सव के दौरान सुदामा चरित्र प्रसंग पर महाराज विस्तार से बताएंगे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here