गोविंद देवजी मंदिर नए नियमों को यथावत रखने के लिए सांझा किए अपने विचार

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जयपुर। गोविंद देवजी मंदिर में बढ़ती भीड़ ओर कुछ असुविधाओं को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने नए नियमों को लागू किया। जिसके कारण कुछ श्रद्धालुओं ने आपत्ति जताई और नई व्यवस्था को बदलने के लिए आग्रह भी किया। लेकिन मंदिर प्रशासन को ठाकुर श्री के दर्शनों को लेकर नए नियम क्यो लागू करने पड़े इसके लिए मंदिर प्रशासन ने अपने विचार साझा किए।

पिछले कुछ दिनों से मंदिर में जो व्यवस्था बदली गई है उसके पीछे भी कई वजहें रहीं है। सबसे पहली मंदिर परिरस के बाहर गाड़ियों की पार्किंग व्यवस्था- मंदिर परिसर में आने वाले श्रद्धालु अपनी गाड़ियों कहीं भी पार्किंग कर देते है। जिसके कारण पीछे वाली गाड़ी बाहर निकालने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है और कई बार तो दूपहिया वाहन चालक को घटों इंतजार करना पड़ता है।

जूते -चप्पलों की व्यवस्था- मंदिर परिसर में आने वाले श्रद्धालु जूते -चप्पल को सही जगह नहीं उतार कर कहीं भी उतार देते थे। जिसके कारण भी मंदिर प्रशासन को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता था। श्रद्धालुओं के जूते -चप्पल को लेकर अलग से वॉलिटियर लगाए गए थे। जिसके बाद भी मंदिर परिसर में जूते-चप्पल बिखरे पड़े रहते थे। जिसके कारण मंदिर की पवित्रता बाधित होती है।

दर्शनों के लिए एक ही जगह रुकना- मंदिर परिसर में ठाकुरश्री के दर्शन के लिए श्रद्धालु एक ही जगह पर आकर रुक जाते है। जिसके कारण पीछे वाले श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन करने में काफी परेशानी होती है। इसी के साथ दंडवत प्रणाम करने वाले श्रद्धालुओं के आगे से लोग निकलते है वो भी सहीं नहीं है। इससे भी दोष लगता है और भीड़ में दंडवत प्रणाम करने वालों को और आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

महिलाओं-पुरुषों की व्यवस्था का उल्लंघन –जहां पुरुष खड़े होते हैं, वहां महिलाएं घुसती हैं, और जहां महिलाएं खड़ी होती हैं, वहां पुरुष घुस जाते हैं। यह भी एक बड़ी अव्यवस्था और असुविधा का कारण बनता है।

मंदिर परिसर में दीपक रखने की अव्यवस्था- मंदिर परिसर में दीपक रखने का स्टैंड मौजूद है। लेकिन श्रद्धालु दीपक जला कर कहीं भी रख कर चले जाते है। कई बार महिलाओं का ध्यान नहीं रहता है चुन्नी व साड़ी में आग लगने का खतरा बना रहता है। जो कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकता है।

मंदिर परिसर में सेल्फी के चक्कर में जुटती है भीड़- श्रद्धालु मंदिर परिसर में आकर समूह के बीच में सेल्फी लेते है। जिसके कारण भी मंदिर परिसर में अलग ही भीड़ जुट जाती है। गार्ड या अन्य भक्तों के माध्यम जब इन्हे सेल्फी लेने से मना किया जाता है तो बहस और झगड़े जैसी नौबत आ जाती है।

हम सुधरेंगे,युग सुधरेंगा, सांझी जिम्मेदारी से हो सकता है निवारण

अगर हम सब अपनी सांझी जिम्मेदारी का निर्वाह करे तो नए नियमों की जरुरत हीं नहीं पड़ेगी। मंदिर परिसर में आने वाले श्रद्धालु मंदिर के बाहर अपनी गाड़ियों को सही तरीके से पार्किंग में लगाए और 40 सैकेंड में ठाकुरजी के दर्शन करने बाद पीछे वाले भक्त को आगे आने का रास्ता दे।

इसी के साथ सेल्फी जैसे कार्यक्रमों को मंदिर के बाहर आकर संपन्न करें। नए नियम सभी श्रद्धालुओं का हित के लिए लागू किए गए है। ताकी आने वाले समय में बांके बिहारी मंदिर,खाटूश्याम जी मंदिर ,सांवरिया सेठ सहित बड़े मंदिरों में ज्यादा भीड़ की व्यवस्था नहीं होने के कार भगदड़ जैसी समस्या का सामना नहीं करना पड़े

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