डॉ. नेमीचंद श्रीमाल की पुस्तक अर्थ विचार सम्पृक्त भाषा पश्चिमी राजस्थानी का भव्य विमोचन

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Grand launch of Dr. Nemichand Shrimal's book 'Artha Vichar Samprikt Bhasha Western Rajasthani'
Grand launch of Dr. Nemichand Shrimal's book 'Artha Vichar Samprikt Bhasha Western Rajasthani'

जयपुर। थार सर्वोदय संस्थान, सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय और जवाहर कला केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में विख्यात भाषा-विज्ञानी डॉ. नेमीचंद श्रीमाल की शोध-पुस्तक ‘अर्थ विचार सम्पृक्त भाषा पश्चिमी राजस्थानी’ का विमोचन समारोह भव्यता से संपन्न हुआ। श्रुति पब्लिकेशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में लेखक ने विदेशी, भारतीय और राजस्थानी विद्वानों के वक्तव्यों, उनकी पुस्तकों के संदर्भों, राजस्थानी दोहों, मुहावरों एवं अन्य भाषाई तत्वों को अत्यंत सरलता और प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया है।

समारोह के मुख्य अतिथि ओंकार सिंह लखावत, अध्यक्ष, राजस्थान धरोहर प्राधिकरण ने अपने उद्बोधन में कहा कि यह पुस्तक राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के प्रयासों में एक महत्वपूर्ण दस्तावेज की भूमिका निभा सकती है। उन्होंने कहा कि इस पुस्तक को हर उस व्यक्ति को पढ़ना चाहिए, जो भाषा और संस्कृति के प्रति जिज्ञासा रखता है।

डॉ. रेवंत दान सिंह ने पुस्तक की विस्तार से समीक्षा करते हुए कहा कि पश्चिमी राजस्थानी, जिसे राजस्थानी की मानक भाषा माना जाता है, के साहित्य को इस गहराई से व्याख्यायित करना निःसंदेह एक अद्वितीय प्रयास है। उन्होंने यह भी कहा कि भाषा के विकास हेतु नवीन सोच और दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

डॉ. विष्णु शर्मा ने लेखक का विस्तृत परिचय प्रस्तुत किया। सरदार पटेल पुलिस विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आलोक त्रिपाठी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने संबोधन में कहा कि भाषा और ज्ञान की दृष्टि से समृद्ध यह पुस्तक शोधार्थियों एवं पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी।

इस अवसर पर लेखक डॉ. नेमीचंद श्रीमाल ने भावुक होते हुए कहा कि जीवन के इस पड़ाव पर इस पुस्तक का विमोचन उनके लिए एक स्वप्न के सच होने जैसा है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन शिक्षा और शोध को समर्पित किया है।

कार्यक्रम का मंच संचालन थार सर्वोदय संस्थान की अध्यक्ष व लेखिका अंशु हर्ष द्वारा किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. विनय कौड़ा ने प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संजय झाला, लोकेश कुमार सिंह साहिल, नीता बूचरा, सुधीर माथुर, सोमेंद्र हर्ष सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। यह कार्यक्रम राजस्थानी भाषा, साहित्य और संस्कृति को नई दिशा देने वाला एक प्रेरणादायक आयोजन रहा।

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