गुप्त नवरात्रि 30 से, दस महाविद्याओं की होगी साधना

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Gupt Navratri from 30th
Gupt Navratri from 30th

जयपुर। माघ शुक्ल प्रतिपदा 30 जनवरी को गुप्त नवरात्रि शुरू होगी। इसका समापन सात फरवरी को होगा। कलश स्थापित करने का शुभ मुहूर्त सुबह 9:25 मिनट पर शुरू होगा। ये मुहूर्त सुबह 10:46 मिनट तक रहेगा। ऐसे में भक्त कुल 1 घंटे 21 मिनट में कलश स्थापना कर सकते हैं। वहीं, अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:13 से लेकर 12:56 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में कलश स्थापित करने के लिए भक्तों को 43 मिनट का समय मिलेगा। उल्लेखनीय है कि हिंदू धर्म में नवरात्रि के दिन बहुत पवित्र और शुभ माने गए हैं।

साल में चार नवरात्रि होती है। इसमें दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त नवरात्रि होती है। पहली चैत्र मास में, दूसरी आषाढ़, तीसरी आश्विन में और चौथी माघ मास में। माघ और आषाढ़ माह की नवरात्रि गुप्त मानी जाती है। चैत्र और आश्विन मास की नवरात्रि को प्रकट माना जाता है। प्रत्यक्ष नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। वहीं गुप्त नवरात्रि में 10 महा विद्याओं के पूजन का विधान है। इन महा विद्याओं में मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी शामिल हैं। गुप्त नवरात्रि पर भी कलश की स्थापना की जाती है।

ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा का कहना है कि नवरात्रि का समय ऋतुओं के संधिकाल से जुड़ा है। संधिकाल यानी एक ऋतु के खत्म होने का और दूसरी ऋतु के शुरू होने का समय। चैत्र मास की नवरात्रि के समय बसंत ऋतु खत्म होती है और ग्रीष्म ऋतु शुरू होती है। आषाढ़ मास की नवरात्रि के समय ग्रीष्म ऋतु खत्म होती है और वर्षा ऋतु शुरू होती है। आश्विन नवरात्रि के समय वर्षा ऋतु खत्म होती है और शीत ऋतु शुरू होती है। माघ मास की नवरात्रि के समय शीत ऋतु खत्म होती है और बसंत ऋतु शुरू होती है।

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