जयपुर। सनातन धर्म में गुरु का स्थान हमेशा से ही सर्वोपरि रहा हैं। गुरु को ईश्वर के समकक्ष माना गया हैं। गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा और व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता हैं । गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई गुरुवार को मनाई जाएगी । गुरु पूर्णिमा का यह पर्व महर्षि वेद व्यास को समर्पित हैं क्योंकि इसी दिन ही महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था । इस दिन शिष्य अपने गुरुओं की पूजा करते हैं ।
आचार्य गौरी शंकर शर्मा बोरखेड़ा ने बताया कि प्रति वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता हैं । इस दिन गुरु के साथ- साथ माता-पिता,बड़े भाई-बहन, आदि की भी पूजा करनी चाहिए। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु वंदना करने से व्यक्ति को सभी देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त हो जाता हैं।
व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में तरक्की मिलती हैं साथ ही सुख समृद्धि की भी प्राप्ति होती हैं। यदि गुरुमंत्र जाप करना चाहते हैं,तो किसी योग्य गुरु से दीक्षा प्राप्त करें और नियमित रूप से अभ्यास करें। गुरु पूर्णिमा को सुबह 10:50 से 3:54 तक गुरु की चरण वंदना करें।