जयपुर। बाड़मेर के संत दयाल पुरी महाराज ने एक राजनीतिक साजिश के तहत हटाए गए वृद्धा आश्रम मामले में राजस्थान के पक्ष-विपक्ष के नेताओं से न्याय की गुहार लगाने के बाद भी न्याय ना मिलने पर मजबूर होकर जयपुर में मीडिया के सामने अपनी पीढ़ा जाहिर की। इससे पहले अपनी 15 दिवसीय जयपुर यात्रा में संत दयाल पुरी महाराज ने हटाए गए वृद्धा-आश्रम मामले की निष्पक्ष जांच करवा कर न्याय की गुहार भी लगाई थी।
इस मामले में संत दयाल पुरी मुख्यमंत्री गहलोत की अस्वस्थता के चलते मुख्यमंत्री के विशेष ओडीसी देवाराम सैनी, पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और कांग्रेस के कई नेताओं से न्याय की गुहार लगा चुके हैं। इसके साथ ही नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से लेकर कई भाजपा नेताओं के अलावा आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल और अन्य कई विधायकों से न्याय दिलाने की गुहार लगा चुके हैं।
संत दयाल पुरी महाराज ने बताया कि वे राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र से मिलने राजभवन भी गए थे । लेकिन उन्हें बताया गया कि राज्यपाल से मिलने के लिए राष्ट्रपति भवन से परमीशन लेनी पड़ती है, इसके लिए उन्होंने राज्यपाल से मिलने के लिए अनुमति-पत्र नियमानुसार भेज दिया है।
संत दयाल पुरी महाराज न्याय न मिलता देख बीते 19 सितंबर को जयपुर के मुरलीपुरा में पानी की टंकी पर चढ़कर अपनी मांग दोहराई थी, जिसके बाद प्रशासन द्वारा उन्हें मुख्यमंत्री से मिलवाने का आश्वासन दिया गया था। इसके बाद वे टंकी से नीचे उतरे थे।
संत दयाल पुरी महाराज का कहना है कि अभी तक मुख्यमंत्री की तरफ से उन्हें मिलने का समय नहीं दिया गया है। अब भी यदि न्याय नहीं मिलता है तो व्यथित होकर उन्हें पूरे राजस्थान में संत-जन आक्रोश यात्रा निकालने पर मजबूर होना पड़ेगा। यदि इस दौरान उन्हें कुछ हो जाता है या वे प्राण त्याग देते हैं तो इसकी पूरी जिम्मेदारी राजस्थान के गांधीवादी नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की होगी।