June 30, 2025, 9:09 pm
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मन के भाव अच्छे हो तो अभिशाप भी वरदान बन जाता है: आचार्य राजेश्वर

जयपुर। श्री शुक सम्प्रदाय पीठाधीश छोटे दादा गुरुदेव श्री रसिक माधुरी शरण जी महाराज के 126 वें जयंती महोत्सव के उपलक्ष्य में श्री सरस परिकर की ओर से अजमेर रोड पर नीलकंठ कॉलोनी स्थित श्री शुक संप्रदाय की आचार्य पीठ श्री बरसाना में शुक सम्प्रदाय पीठाधीश अलबेली माधुरी शरण महाराज के सान्निध्य में हो रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा में मंगलवार को व्यासपीठ से आचार्य राजेश्वर ने दशरथ के देहांत, भरत का वन जाकर राम को वापस लाने का प्रयास, राम-भरत मिलन, राम का भारद्वाज सहित अन्य ऋषियों से मिलन की कथा का श्रवण कराया। कथा के भाव के अनुसार भगवान राम और सीता जी की छवि को कुटिया का स्वरूप देकर पत्तों से श्रृंगार किया गया। प्रभु श्री राम के वन गमन की कथा सुनाते हुए आचार्य राजेश्वर ने कहा कि भगवान श्रीराम ने संतों से व्यक्तिश: भेंट कर उनका आशीर्वाद लेकर सत्संग लाभ प्राप्त किया। यदि भाव अच्छे हो, संतों का आशीर्वाद हो तो अभिशाप भी वरदान साबित होता है।

हवामहल विधायक बालमुंदाचार्य ने व्यासपीठ की पूजा कर आचार्य राजेश्वर का सम्मान किया। श्री सरस निकुंज की ओर से शुक संप्रदाय पीठाधीश्वर अलबेली माधुरी शरण महाराज और प्रवीण बड़े भैया ने दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया।

सत्संग से आती है व्यावहारिक निपुणता

आचार्य राजेश्वर ने राम वन गमन के प्रसंग में आगे कहा कि भगवान राम ने हम लोगों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है कि सत्संग से व्यक्ति को विवेक अर्थात उचित और अनुचित का ज्ञान होने के साथ ही सामाजिक एवं व्यावहारिक निपुणता भी प्राप्त होती है। यद्यपि राम जी की कृपा के बिना भी सत्संग प्राप्ति संभव नहीं है परंतु श्रीराम ने स्वयं अपने व्यवहार से सत्संग की महिमा को सिद्ध किया है।

भगवान श्री राम भारद्वाज, वाल्मीकि, सुतीक्ष्ण, शरभंग, अगस्त्य सहित अन्य ऋषियों से स्वयं जाकर मिले। कथा के दौरान विभिन्न संतों का सानिध्य प्राप्त हुआ। श्री सरस परिकर की ओर से संतों का दुपट्टा ओढ़ाकर सम्मान किया गया।

श्रोताओं ने प्रवचन के साथ सुरीले स्वरों में भजनों का आनंद उठाया। श्री सरस परिकर के प्रवक्ता प्रवीण बड़े भैया ने बताया कि प्रारंभ में ने व्यासपीठ का पूजन किया। धीरेन्द्र माथुर, नरेश माथुर, गोपाल सिंह एडवोकेट प्रबल, सीए प्रशांत अग्रवाल सहित अन्य ने विभिन्न व्यवस्थाएं संभाली।

बुधवार को होगा लंका दहन, कल विश्राम

बुधवार को शबरी, हनुमान, सुग्रीव से रामजी की भेंट, बाली वध, सीता हरण, लंका दहन आदि कथा होगी। कथा नौ जनवरी तक प्रतिदिन दोपहर डेढ़ से शाम पांच तक होगी।

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