July 24, 2025, 1:20 am
spot_imgspot_img

भारतीय लघु फिल्म रू-ब-रू पहली बार आईएफएफ स्टुटगार्ट 2025 में प्रतिस्पर्धा में प्रदर्शित होगी

नई दिल्ली। जैसा कि प्रामाणिक भारतीय कहानियां दुनियाभर में लोगों के दिलों में जगह बना रही हैं, राजस्थान की एक जबरदस्त लघु फिल्म रू-ब-रू पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय फिल्म उत्सव स्टुटगार्ट 2025 के प्रतिष्ठित “प्रतिस्पर्धा वर्ग” में प्रदर्शित की जाएगी।

लोक परंपरा और सिनेमाई अलंकार में निहित रू-ब-रू दो बहनों की एक साहसिक, गीतात्मक कहानी है जिसमें एक रुदाली (पेशेवर शोक मनाने वाली) और दूसरी बहन नृत्यांगना है जो जाति, वर्ग और लिंग असमानता भरी दुनिया में अपनी स्वतंत्रता को फिर से हासिल करने के लिए संघर्षरत हैं।

मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले कपिल तंवर द्वारा निर्देशित इस फिल्म के जरिए वह निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखने जा रहे हैं जिसमें वह अपनी सांस्कृतिक विरासत को भारतीय महिलाओं की जीवंत वास्तविकताओं की अदम्य खोज के साथ मिलाने का प्रयास करते दिखाई देते हैं।

भारतीय सिनेमा की जीवंतता- गीत, नृत्य, भावना और गहरी जड़ों वाली किस्सागोई को साथ लाकर इस फिल्म ने जेआईएफएफ 2025 में अपने राजस्थान स्टेट प्रीमियर में अविस्मरणीय छाप छोड़ी और लोगों ने खड़े होकर तालियां बजाई और इस फिल्म को एक विशेष जूरी अवार्ड मिला।

इस फिल्म का निर्माण शादाम फिल्म्स के बैनर तले अन्विता गुप्ता के नेतृत्व में पूरी तरह से महिलाओं की टीम द्वारा किया गया जिसकी सह निर्माता अनिता गुरनानी थी और प्रियंका चोपड़ा ने एक्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर के तौर पर भूमिका निभाई। कुल मिलाकर यह टीम, इस परियोजना के लिए अंतर-पीढ़ीगत दृष्टि, जमीनी स्तर की अंतर्दृष्टि और वैश्विक अपील लेकर आई।

इस फिल्म पर अपने विचार साझा करते हुए रू-ब-रू की सह निर्माता अनिता गुरनानी ने कहा, “मेरे लिए रू-ब-रू महज एक फिल्म नहीं है, बल्कि अक्सर अनसुनी रह जाने वाली महिलाओं की दास्तां को विस्तार से बताने की एक दिल से जुड़ी परियोजना है। भारतीय महिलाओं के जीवंत अनुभवों पर आधारित यह प्रामाणिक किस्सागोई की ताकत के जरिए वैश्विक बाधाओं को तोड़ने की दिशा में एक कदम है। हमें इस बात का गर्व है कि इस कहानी की गूंज सीमाओं के पार सुनाई दे रही है और इसे एक अंतरराष्ट्रीय मंच पर लाए जाने से हम सम्मानित महसूस कर रहे हैं।”

निर्देशक कपिल तंवर ने कहा, “रू-ब-रू एक ऐसी कहानी है जो गहरे व्यक्तिगत चिंतन और सांस्कृतिक स्मृति के स्थान से आती है। निर्देशक के तौर पर मेरी पहली फिल्म होने के कारण इसने मुझे उन महिलाओं की भावनाओं और चुप रहने की ताकत को खंगालने का अवसर दिया जिनकी कहानियां अक्सर अनकही रह जाती हैं।

यूरोप में भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े मंच भारतीय फिल्म उत्सव, स्टुटगार्ड में प्रतिस्पर्धा के लिए इसे नामित किया जाना एक अद्भुत सम्मान है। यह मेरे इस विश्वास की पुष्टि करता है कि ईमानदार और गहरी किस्सागोई में सुदूर यात्रा करने और लोगों से गहराई से जुड़ने की क्षमता होती है।”

रू-ब-रू फिल्म की निर्माता अन्विता गुप्ता ने कहा, “रू-ब-रू महज एक फिल्म से अधिक महिलाओं के कैसे देखा जाता है, उन्हें चुप कराया जाता है और दया के साथ जीवन जीने की उनसे उम्मीद की जाती है, भले ही उन पर कितना बोझ क्यों ना हो, इसके खिलाफ एक शांत विद्रोह है।

भले ही यह फिल्म ग्रामीण राजस्थान की दो बहनों पर केंद्रित है, इनके संघर्ष और आंतरिक जीवन की गूंज सीमाओं और सामाजिक स्तर से परे सुनाई देती है। जहां हर जगह महिलाओं पर जाति, वर्ग या अदृश्य उम्मीदें थोपी जाती हैं, इनकी कहानी हम सभी को एक आईना दिखाती है।

इस उद्योग में एक दशक के अनुभव के बाद, पहली बार निर्माता के तौर पर मैं उन कहानियों को आगे बढ़ाना चाहती थी जिनकी आत्मा गहराई से भारतीयता में बसती हो, लेकिन इसका एहसास दुनियाभर में किया जाए। शादाम फिल्म्स के जरिए मैं वैश्विक नक्से पर इस तरह की ईमानदारी भरी दास्तां ले जाने और उन आवाज का सम्मान किए जाने की उम्मीद करती हूं जिन्हें अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। क्योंकि जब सच्चाई दिल से बताई जाती है तो वह हमेशा बहुत दूर तक जाती है।”

इसकी बढ़ती प्रशंसा के बीच रू-ब-रू ने हाल ही में मैड्रिड में इमेजिनइंडिया फिल्म फेस्टिवल में सर्वोत्तम लघु फिल्म का अवार्ड जीता है। प्रख्यात लेखक, जूरी की सदस्य और स्पेन की सबसे सम्मानित साहित्यकारों में से एक मारिया जारागोजा हिडाल्गो ने इस फिल्म की सार्वभौमिकता और ईमानदारी के लिए सराहना करते हुए कहा, “यह कहानी सस्ती तरकीबों को अपनाए बगैर वैश्विक एहसास, स्थिति और रोजमर्रा के ठोस दृष्टिकोण से घटनाएं सामने लाती है।” स्पेन में इस फिल्म को पहली बार सितंबर, 2025 में प्रदर्शित किए जाने की संभावना है।

जैसा कि रू-ब-रू का प्रीमियर आईआईएफ स्टुटगार्ट में 27 जुलाई को होना है, भारतीय स्वतंत्र सिनेमा को लेकर बढ़ते वैश्विक प्रभाव की दिशा में यह एक और मील का पत्थर है। अपनी समृद्ध कथात्मक संरचना, सांस्कृतिक विशिष्टता और गूंजती विषयवस्तु के साथ यह फिल्म एक ऐसी मार्मिक कहानी के तौर सामने है जिसका अक्सर वैश्विक प्रभाव होता है।

रू-ब-रू एक ताकतवर लघु फिल्म है जो दो बहनों की यात्रा के जरिए महिलाओं की कहानियों को सामने लाती है। इनमें एक बहन रुदाली (पेशेवर शोक मनाने वाली), जबकि दूसरी नृत्यांगना है जो जाति, वर्ग और लिंग बाधाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ रही हैं। मूलतः राजस्थान से आने वाले और निर्देशन के क्षेत्र में कदम रख रहे कपिल तंवर ने इस फिल्म में समृद्ध सांस्कृतिक जड़ों को भावनात्मक गहराई के साथ मिलाया है और यह कहानी सभी संदर्भों से गहराई से जुड़ी है।

अन्विता गुप्ता (शादाम फिल्म्स) द्वारा निर्मित, अनिता गुरनानी द्वारा सह निर्मित और प्रियंका चोपड़ा द्वारा कार्यकारी तौर पर निर्मित रू-ब-रू ने इमेजिनइंडिया फिल्म फेस्टिवल, मैड्रिड 2025 में सर्वोत्तम लघु फिल्म का अवार्ड जीता है और जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में स्पेशल जूरी का अवार्ड जीता है। इस फिल्म का इंटरनेशनल प्रीमियर, यूरोप के सबसे बड़े भारतीय फिल्म उत्सव- इंडियन फिल्म फेस्टिवल, स्टुटगार्ट 2025 के “प्रतिस्पर्धा वर्ग” में किया जाएगा।

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

25,000FansLike
15,000FollowersFollow
100,000SubscribersSubscribe

Amazon shopping

- Advertisement -

Latest Articles