केन्द्रीय कारागार में बंदियों को कराया गीता का पाठ

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Inmates in the central jail were taught lessons from the Bhagavad Gita.
Inmates in the central jail were taught lessons from the Bhagavad Gita.

जयपुर। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में भारतीय चरित्र निर्माण संस्थान की ओर से जयपुर केन्द्रीय कारागार में मंगलवार को दो दिवसीय अपराध मुक्ति ज्ञान महायज्ञ (गीता धर्म संवाद) का शुभारंभ हुआ। संस्थान के प्रमुख रामकृष्ण गोस्वामी ने कहा कि भगवद् गीता का कर्मयोग समूचे मानव समुदाय के लिए सनातन मार्गदर्शक सिद्धांत है। कर्मयोगी भारत निर्माण आंदोलन वास्तव में राष्ट्रीय मानवाधिकारों की रक्षा का प्रखर शंखनाद है, क्योंकि कर्मयोग व्यक्ति को राष्ट्रीयता, मानवीय सेवा और विवेकपूर्ण नेतृत्व से जोड़ता है।

गीता स्वयं कर्मयोग का विज्ञान है, जो मृत्यु-भय और असुरक्षा से छुटकारा दिलाकर मनुष्य को निर्भीकता प्रदान करती है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपना दिव्य गीता संदेश संपूर्ण विश्व के हित में दिया था, इसलिए गीता को असुरक्षा, अशांति, अन्याय, गरीबी और गुलामी से मुक्ति का श्रेष्ठ नीतिशास्त्र कहा जाता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सज्जनों की रक्षा और दुर्जनों के विनाश द्वारा धर्म व्यवस्था की स्थापना करना ही सनातन धर्म की मूल धारा है। किसी भी क्षेत्र में समग्र सफलता श्रेष्ठ नेतृत्व और उत्तम प्रशासनिक प्रबंधन के बिना संभव नहीं।

प्रकृति त्रिगुणात्मक—सत, रज और तम—स्वरूप में रहती है, जो उच्च, मध्यम और निम्न प्रकृति का निर्माण करती है। शरीर, इंद्रियां, मन, बुद्धि और आत्मा की संरचना बताते हुए उन्होंने कहा कि आत्मा ही सबसे श्रेष्ठ, सूक्ष्म और बलवान तत्व है, और आत्मज्ञान के बिना न परमात्मा का साक्षात्कार संभव है, न धर्म का सच्चा तत्वज्ञान। अंत में उन्होंने जोर देकर कहा कि न्याय आधारित शासन व्यवस्था की स्थापना ही मानवाधिकारों की रक्षा का सनातन राजधर्म है।

इस मौके पर कारागार के कैदियों ने गीता का पाठ किया। कारागार अधिकारियों को गीता भेंट की गई। विश्व मानवाधिकार दिवस पर बुधवार को केन्द्रीय कारागार में सुबह 11 से दोपहर एक बजे तक मुख्य कार्यक्रम होगा।

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